अमेठी : गांधी परिवार के गढ़ में पहली बार यूपी के मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अकेले जनसभा की. रैली के जरिए अखिलेश ने कांग्रेस को सीधा सन्देश दिया है. Akhilesh
दोस्ती कंजूसी से नहीं बल्कि बड़ा दिल करने से चलती है. सपा और कांग्रेस के गठबंधन के बाद राहुल और अखिलेश लगातार दोस्ती की बातें करते रहे हैं.
रैलियों में दोनों दलों के डंडे-झंडे साथ दिख रहे हैं. कई बार तो मंच से एक-दूसरे के प्रत्याशियों को जिताने के लिए नाम लेकर भाषण तक दिए जाते रहे हैं.
सीटों का मामला रायबरेली और अमेठी में आकर फंस गया है. रायबरेली की दो सीटों पर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के उम्मीदवार चुनाव चिन्ह के साथ आमने-सामने हैं.
आखिरी वक्त तक गांधी परिवार और अखिलेश यादव ने कोशिश की कि, रायबरेली और अमेठी में गठबंधन में आमना-सामना न होने पाए .
लेकिन अमेठी जिले की अमेठी विधानसभा सीट और गौरीगंज विधानसभा सीट में दोनों पार्टियों के उम्मीदवार आमने-सामने हैं.
अमेठी से विवादित मंत्री गायत्री प्रजापति सपा प्रत्याशी हैं, तो कांग्रेस से राज्यसभा सांसद संजय सिंह की पत्नी पूर्व विधायक अमिता सिंह मैदान में हैं.
वैसे दिलचस्प है कि, यहां से बीजेपी ने संजय सिंह की पूर्व पत्नी गरिमा सिंह को टिकट दिया है तो वहीं रायबरेली में भी 2 सीटों पर दोनों के प्रत्याशी आमने-सामने हैं.
ऊंचाहार सीट से सपा के मौजूदा विधायक और पूर्व मंत्री मनोज पांडे हैं तो कांग्रेस ने पूर्व विधायक अजय पाल सिंह उर्फ राजा रखा को अपना उम्मीदवार बनाया है.
रायबरेली की सरेनी सीट से कांग्रेस ने पूर्व विधायक अशोक सिंह को उम्मीदवार बनाया है, तो वहीं सपा ने देवेंद्र सिंह को यहां से टिकट दिया है.
आखिरी वक्त की तमाम कोशिशों के बाद उम्मीदवार जब कदम खींचने को तैयार नहीं हुए तो मजबूरन अखिलेश और राहुल अपने-अपने उम्मीदवारों के प्रचार के लिए मजबूर हो गए. भले ही दोनों गठबंधन की बात करें लेकिन इस इलाके में आते ही गठबंधन की गांठ नज़र आ ही जाती है.
कांग्रेस और सपा के गठजोड़ के बाद पहली बार अखिलेश यादव ने उस सीट पर प्रचार किया जहां सपा के साथ-साथ कांग्रेस उम्मीदवार भी मैदान में है. रायबरेली की ऊंचाहार सीट में भाषण के दौरान अखिलेश के निशाने पर तो प्रधानमंत्री मोदी ही रहे.