अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कई दिनों तक गरजने के बाद आखिरकार बरस ही पड़े। अमरीका ने आर्थिक जंग का आगाज़ करते हुए कनाडा, मेक्सिको और चीन पर आयात शुल्क लागू कर दिया है।
ट्रंप ने कनाडा और मेक्सिको पर 25 फीसदी जबकि चीन के उत्पादों पर 20 फीसदी आयात शुल्क लगा दिया है। मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाम रविवार को जवाबी कार्रवाई का एलान करेंगी। याद दिला दें कि मेक्सिको सरकार पहले ही जवाबी शुल्क लगाने की बात कह चुकी है।
ट्रुडो ने इस आयात शुल्क को मूर्खतापूर्ण बताते हुए कहा कि कनाडा इसे डब्ल्यूटीओ में चुनौती देगा। जवाबी कार्यवाई करते हुए कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रुडो ने भी 30 अरब कनाडाई डॉलर मूल्य की अमरीकी वस्तुओं पर 25 फीसदी टैरिफ लागू कर दिया।
अमरीका द्वारा चीन, कनाडा और मैक्सिको पर टैरिफ लगाए जाने के बाद जानकारों का कहना है कि महंगाई और अधिक बढ़ने की आशंका भी बढ़ गई है। मुद्रास्फीति बढ़ने से विकास में बाधा होने के अनुमान पहले ही लगाए जा रहे थे।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी जवाब में कई अमरीकी कृषि उत्पादों पर 15 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लगा दिया है। चीन ने अमरीका से आयात सोयाबीन, सी फ़ूड, फल, सब्जियों व डेयरी उत्पादों पर अतिरिक्त 10 फीसदी शुल्क लगाया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, कनाडा का शुल्क तत्काल लागू हो गया, जबकि चीन 10 मार्च से इस शुल्क को लागू करेगा।
इसके अलावा एक और फैसला लेते हुए चीन ने 10 अमरीकी फर्मों को गैर-भरोसेमंद सूची में रखा है। इनमें रक्षा-सुरक्षा संबंधी कंपनियों के अलावा एआई, विमानन, आईटी व दोहरे उपयोग वाली वस्तुएं भी हैं।
हालात को देखते हुए जानकारों का कहना है कि भारतीय उत्पादों का निर्यात बढ़ेगा। विशेषज्ञों के अनुसार कृषि, इंजीनियरिंग, मशीन टूल्स, परिधान, कपड़ा, रसायन और चमड़ा जैसे क्षेत्रों में निर्यात बढ़ने की उम्मीद है। इसके साथ कीमतों के मामले में भारत की चीन, मेक्सिको और कनाडा से प्रतिस्पर्धा की स्थिति बनेगी।
अमरीका द्वारा तीन देशों पर लगाए गए इस टैरिफ युद्ध का असर पूरी दुनिया पर पड़ना तय है। इन चार देशों की वैश्विक जीडीपी में भागीदारी 48.1 फीसदी है जो लगभग आधी है। अमरीकी हिस्सेदारी की बात करें तो विश्व जीडीपी में इसकी 26 फीसदी हिस्सेदारी है, वहीँ चीन 19 फीसदी का भागिदार है। मेक्सिको और कनाडा क्रमशा 1.9 और 1.2 फीसदी के भागिदार हैं।
इन हालात में महंगाई और अधिक बढ़ने की आशंका भी बढ़ गई है। मुद्रास्फीति बढ़ने से विकास में बाधा होने के अनुमान पहले ही लगाए जा रहे थे।