मणिपुर में पिछले दिनों होने वाले सियासी उतर-चढ़ाव के बीच राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं।
मणिपुर में करीब दो वर्षों से हिंसा का माहौल है। जातीय संघर्ष और हिंसा के चलते राज्य में अशांति बनी हुई है। जिससे कानून-व्यवस्था की स्थिति भी चरमराई हुई थी। प्रशासन हालात पर अभी तक काबू पाने में असफल रहा और इन हालात में मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया। इस्तीफे के बाद केंद्र सरकार ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला लिया है।
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा नेतृत्व मुख्यमंत्री के इस्तीफे के कुछ दिनों बाद भी इस पद के लिए किसी नए नेता का नाम तय करने में विफल रहा है।
गृह मंत्रालय ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की घोषणा करते हुए एक आधिकारिक अधिसूचना जारी की है। राष्ट्रपति शासन लगने के साथ ही अब मणिपुर की सारी प्रशासनिक और सरकारी शक्तियां केंद्र सरकार के नियंत्रण में आ गई हैं। फिलहाल मणिपुर में गवर्नर के माध्यम से केंद्र सरकार का शासन चलेगा और कोई मुख्यमंत्री या मंत्रिमंडल नहीं रहेगा।
मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद पिछले चार दिनों से चल रहे राजनीतिक संकट का फिलहाल समाधान हो गया है। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया की है। केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि वह पिछले 20 महीने से राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग कर रहे थे।
गौरतलब है कि मई 2023 से मणिपुर के हालात खराब हैं। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह लंबे समय से मणिपुर की बिगड़ती स्थिति को काबू करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन बढ़ती हिंसा, जातीय तनाव और प्रशासनिक चुनौतियों और दबाव के चलते उन्होंने पद छोड़ने का फैसला लिया और अपना इस्तीफ़ा राजयपाल को सौंप दिया।