21 अप्रैल को पोप फ्रांसिस के निधन के बाद रोमन कैथोलिक चर्च के 267वें पोप का चयन होना है। आज वेटिकन सिटी के सिस्टीन चैपल में दिवंगत पोप फ्रांसिस के उत्तराधिकारी को चुनने की प्रक्रिया शुरू होगी।
कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धर्मगुरु का चुनाव सीक्रेट वोटिंग द्वारा होता है जिसे कॉन्क्लेव कहा जाता है। इस कॉन्क्लेव में दुनियाभर से 133 कार्डिनल शामिल होने के लिए पहुंचे हैं। बताते चलें कि इनमे 4 भारतीय भी हैं।
13वीं शताब्दी से चली आ रही कॉन्क्लेव एक गुप्त और पवित्र प्रक्रिया है। वेटिकन का संविधान कहता है कि पोप के निधन के 15 से 20 दिनों के भीतर कॉन्क्लेव की शुरुआत होनी चाहिए।
पोप बनने के लिए 89 वोट हासिल करना ज़रूरी होता है। अगर किसी को दो-तिहाई बहुमत मिलते हैं, तो उसे नया पोप घोषित किया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के अनुसार, नए पोप के चुने जाने के लिए कई प्रकार के प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है। वोटिंग शुरू होने से लगभग 90 मिनट पहले आज सभी सिग्नल बंद कर दिए जाएंगे। वहीँ कार्डिनल्स द्वारा एक दिन पहले ही फोन या अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जमा कर दिए हैं। यह सामान नए पोप के चुने जाने के बाद ही वापस किया जाएगा।
मज़बूत सुरक्षा के साथ कॉन्क्लेव क्षेत्र सख्त लॉकडाउन में रहेगा। इससे पहले साल 2013 में भी इसी प्रक्रिया को अपनाते हुए पोप फ्रांसिस का चुनाव किया गया था।
चुनाव से पहले सिस्टीन चैपल को पूरी तरह बाहरी दुनिया से अलग कर दिया जाता है। इस पूरे इलाके की जांच के साथ कार्डिनल्स के मोबाइल फोन, इंटरनेट और न्यूजपेपर की सुविधा भी रोक दी जाती है।
चुनाव के दौरान सिग्नल ब्लॉकर्स लगाए जाने के साथ वेटिकन में रोजाना का काम करने वाले कर्मचारियों ने भी मौन रहने की शपथ ली है।
पोप के चुनाव की गोपनीयता बनाए रखने के लिए कॉन्क्लेव की शुरुआत से 2 दिन पहले ही वेटिकन के कर्मचारियों, जिनमें पुजारी सहित सुरक्षा गार्ड, डॉक्टर, टेक्नीशियन आदी ने भी प्राइवेसी की शपथ ली है।
कॉन्क्लेव के पहले दिन विशेष प्रार्थना सभा में कार्डिनल्स एक कमरे में जमा होते हैं। हर एक कार्डिनल गॉस्पेल यानी पवित्र किताब पर हाथ रखकर चुनाव की गोपनीयता की कसम खाता है।
फिर सीक्रेट वोटिंग शुरू होती है। इसके लिए हर कार्डिनल को एक बैलेट दिया जाता है। जिसमे वह उस शख्स का नाम लिखता है, जिसे वह पोप बनाना चाहता है।
पोप बनने के लिए 89 वोट हासिल करना होगा। तीन अधिकारी इन्हें गिनते हैं और अगर किसी को दो-तिहाई बहुमत मिलते हैं, तो उसे नया पोप घोषित किया जाता है।
यदि किसी को 89 वोट नहीं मिले तो सभी बैलेट को जला दिया जाएगा। इस दौरान बैलेट में एक खास रसायन मिला होने के कारण काला धुआं निकलेगा। इस काले धुएं का मतलब होता है कि अभी तक नए पोप को लेकर कोई फैसला नहीं हो सका है जबकि सफेद धुआं बताता है कि नया पोप चुन लिया गया है।
कॉन्क्लेव के दौरान हर दिन चार बार मतदान किया जाता है। इनमे दो सुबह और दो दोपहर में। ऐसे में अगर किसी उम्मीदवार को दो-तिहाई बहुमत नहीं हासिल होता है तो वोटिंग की प्रक्रिया दोहराई जाती है जबकि 89 मत मिल जाने पर उनसे पूछा जाता है कि क्या आप पोप के रूप में चुने जाने को स्वीकार करते हैं?
मंजूरी मिलने पर वेटिकन की सेंट पीटर बेसिलिका की बालकनी से नए पोप चुने जाने की घोषणा की जाती है। तत्पश्चात नए पोप औपचारिक रूप से अपना पद ग्रहण करते हैं।