शुक्रवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई बिहार कैबिनेट की बैठक में गया शहर का नाम बदलने का निर्णय लिया गया। अब इस धार्मिक और ऐतिहासिक शहर को ‘गया जी’ के नाम से जाना जाएगा।
बिहार का शहर गया अपने धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। गया में ही बोधगया भी है, जहाँ गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। बोधगया में महाबोधि मंदिर एक विश्व धरोहर स्थल है, जहाँ भगवान बुद्ध को बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
गया का प्राचीन नाम उरुवेला था। यह नाम भगवान बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति के समय इस स्थान के लिए इस्तेमाल किया जाता था। गया एक प्राचीन शहर है और इसका इतिहास काफी पुराना है। गया को फल्गु नदी के किनारे बसाया गया है, जिसके किनारे पिंडदान किया जाता है। गया, विश्व के दो बड़े धर्मों, हिंदू और बौद्ध धर्म के आस्था का केंद्र है।
इसे “ज्ञान और मोक्ष की भूमि” भी कहा जाता है। गया, विशेष रूप से हिंदुओं के लिए, पितृ पक्ष में श्राद्ध करने और अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए पिंडदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।
गया का नाम बदलने का प्रस्ताव सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से आया था जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही बोधगया शहर के लिए जलापूर्ति परियोजना को भी मंजूरी मिली है।
कैबिनेट की बैठक में 69 प्रस्तावों पर मुहर लगा दी है। वहीं कैबिनेट में यह भी फैसला लिया गया कि बिहार सरकार ऑपरेशन सिंदूर में शहीद हुए शहीदों के आश्रितों को 50 लाख रुपए सम्मान राशि के तौर पर देगी।
कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर यह है कि राज्यकर्मियों का डीए दो फीसदी बढ़ा दिया गया है। कर्मचारियों को अब 53 की जगह 55 फीसदी डीए मिलेगा। इस बढ़ोतरी का लाभ पहली जनवरी 2025 से मिलेगा।