वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अफ़्रीकी महाद्वीप के 37 देशों में विचरने वाले अफ़्रीकी हाथी के अस्तित्व पर गहरा खतरा है। खतरा इतना बड़ा है कि इनके विलुप्त होने आसार बने हुए हैं।
अमरीका में कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी के वन्यजीव विशेषज्ञों के नेतृत्व में इस विषय पर पड़ताल की गई। इस पर किए जाने वाले एक नए अध्ययन से पता चला है कि अफ़्रीकी हाथियों की दो प्रकार की प्रजातियाँ पाई जाती हैं जिनमे एक अफ़्रीकी वन हाथी और जबकि दूसरी ग्रेटर अफ़्रीकी झाड़ी हाथी है।
इस अध्ययन के तहत हाथियों पर 53 वर्षों के डेटा की समीक्षा की गई। इस समीक्षा के नतीजे बताते हैं कि इस दोनों प्रजातियों की संख्या में बड़े पैमाने पर गिरावट देखी गई है।केवल 50 वर्षों में वन हाथियों की आबादी में औसतन 90 प्रतिशत और जंगली हाथियों की आबादी में 70 प्रतिशत की गिरावट आई है।
1964-2016 तक, वन हाथियों की आबादी औसतन 90% कम हुई, और सवाना हाथियों की आबादी औसतन 70% कम हुई। कुल मिलाकर, आबादी औसतन 77% कम हुई। अध्ययन में 37 देशों में 475 साइटों से सर्वेक्षण डेटा संकलित किया गया, जिससे यह आज तक अफ्रीकी हाथियों का सबसे व्यापक मूल्यांकन बन गया।
53 वर्षों के डेटा की समीक्षा से पता चलता है कि हाथियों की कुल आबादी में औसतन 77 प्रतिशत की गिरावट देखी गई
हाथियों की कुल आबादी में औसतन 77 प्रतिशत की गिरावट का मुख्य कारण इंसानों के कारण होने वाली हाथियों की मौत है। अध्ययन से पता चला है कि आज भी ट्रॉफियों और उनके मूल्यवान दांतों के लिए नर हाथियों का शिकार किया जा रहा है।
पूरे महाद्वीप में गिरावट एक समान नहीं थी, कुछ आबादी पूरी तरह से गायब हो गई और अन्य में तेजी से वृद्धि देखी गई। इस अध्ययन के दौरान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और अध्ययन के लेखक जॉर्ज व्हिटमायर ने एक और जानकारी देते हुए बताया है कि समग्र जनसंख्या में गिरावट के बावजूद कुछ क्षेत्रों में उनके झुंड मजबूत होने के भी रुझान मिले हैं।
प्रोफेसर जॉर्ज विटमीयर ने कहा कि इस विषय पर उन सफल कहानियों की पहचान करनी होगी जहां हाथियों की आबादी स्थिर है या बढ़ रही है। उनका कहना है कि ये कहानिया उनके संरक्षण में मदद कर सकती है।