आदित्य-एल1 मिशन में एक और बड़ी कामयाबी प्राप्त हुई है। इसरो के मिशन सूर्य के तहत आदित्य-एल1 पांचवी बार सफलतापूर्वक अपनी कक्षा बदल चुका है। यह मिशन भी चंद्रयान-3 की तरह पहले पृथ्वी की परिक्रमा करेगा और फिर तेजी से सूरज की दिशा में उड़ान भरेगा।
इसरो से मिली जानकारी के अनुसार रात 2 बजे स्पेसक्राफ्ट आदित्य L1 को ट्रांस-लैग्रेंजियन पॉइंट 1 में इंसर्ट किया गया। इस प्रक्रिया के लिए थ्रस्ट फायर किए गए।
स्पेसक्राफ्ट यहां से 15 लाख किलोमीटर के रास्ते पर आगे बढ़ेगा। इस सफर को पूरा करने में इसे 110 दिन का समय लगेगा। गणना के मुताबिक़ जनवरी 2024 में ये लैग्रेंजियन पॉइंट 1 पर पहुंचेगा। एल-1 पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है।
Aditya-L1 Mission:
Off to Sun-Earth L1 point!The Trans-Lagrangean Point 1 Insertion (TL1I) maneuvre is performed successfully.
The spacecraft is now on a trajectory that will take it to the Sun-Earth L1 point. It will be injected into an orbit around L1 through a maneuver… pic.twitter.com/H7GoY0R44I
— ISRO (@isro) September 18, 2023
इसरो ने जानकारी दी थी कि आदित्य L1 ने साइंटिफिक डेटा जमा करना शुरू कर दिया है। इस डेटा की मदद से सूर्य पर उठने वाले तूफान और अंतरिक्ष के मौसम के बारे में जानकारी मिल सकेगी।
हमारी पृथ्वी जिस सोलर सिस्टम का हिस्सा है उसकी ऊर्जा का केंद्र सूर्य है। इस सूर्य के गिर्द आठ ग्रह परिक्रमा करते हैं। धरती पर जीवन का स्रोत सूर्य है और सूर्य से लगातार प्राप्त होने वाली ऊर्जा को चार्ज्ड पार्टिकल्स कहते हैं।
पृथ्वी से 50,000 किमी से अधिक दूरी पर स्टेप्स उपकरण के सेंसर ने सुपर-थर्मल और ऊर्जावान आयनों तथा इलेक्ट्रॉनों को मापना शुरू कर दिया है। यह डाटा वैज्ञानिकों को पृथ्वी के आसपास के कणों के व्यवहार को परखने करने में मदद करता है।
Aditya-L1 Mission: आदित्य-एल1 ने वैज्ञानिक आंकड़े एकत्र करना किया शुरू, इसरो ने एक्स पर पोस्ट कर कही ये बात#AdityaL1Mission #ISRO #SolarMission #MissiontoSunhttps://t.co/1Z1NNXosdW
— Amar Ujala (@AmarUjalaNews) September 18, 2023
आदित्य L1 की मदद से सौर मंडल के कई राज़ खुलने के साथ कई और बारीकियों को समझने में भी मदद मिलेगी। इससे मिली जानकारियां खगोल विज्ञान के कई रहस्य और नियम समझने में मददगार होंगी।
पृथ्वी से सूर्य की दूरी तक़रीबन 15 करोड़ किमी है। आदित्य एल1 इस दूरी का महज एक प्रतिशत मार्ग ही तय कर रहा है, लेकिन इस दूरी को तय करके भी यह सूर्य के बारे में कई ऐसी जानकारियां देगा, जिनका पृथ्वी से पता लगाना संभव नहीं होता।