भारत को नवाचार का एक प्रमुख वैश्विक केन्द्र बनाने के साथ शून्य कार्बन उत्सर्जन को भी ध्यान में रखते हुए सरकार ने ऑटोमोटिव विनिर्माण पर फोकस किया है।
अनुमान है कि इस ऐतिहासिक पहल के साथ वर्ष 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त करने के अलावा सतत गतिशीलता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने का लक्ष्य पाया जा सकता है।
पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के देश के राष्ट्रीय लक्ष्यों को देखते हुए सरकार ने ईवी यानी इलेक्ट्रिक वाहनों पर विशेष ध्यान देते हुए सोमवार को यात्री कारों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक योजना को मंजूरी दी है।
वैश्विक ईवी निर्माताओं से निवेश आकर्षित करने और देश को ई-वाहनों के विनिर्माण केन्द्र के रूप में बढ़ावा देने से वैश्विक विनिर्माण को बढ़ावा मिलने के साथ रोजगार सृजन और “मेक इन इंडिया” के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद करेगी।
भारी उद्योग मंत्रालय का कहना है कि नई ईवी योजना के तहत कंपनियों को देश में मन्यूफैक्चरिंग सुविधाएं स्थापित करने के लिए 4,150 करोड़ रुपए का निवेश की ज़रूरत होगी।
इससे पहले 15 मार्च 2024 को एमएचआई ने योजना की अधिसूचना जारी की थी। वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने भी योजना के प्रावधानों के अनुरूप आयात शुल्क में कमी के लिए 15 मार्च 2024 को अधिसूचना जारी की थी।
इसी क्रम में भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना के तहत एमएचआई ने विस्तृत दिशा-निर्देशों की अधिसूचना जारी की है।
आवेदक ऑनलाइन आवेदन जमा कर सकें इसके लिए योजना के अंतर्गत आवेदन आमंत्रित करने के लिए अधिसूचना जल्द ही जारी करने का प्रस्ताव है।
वैश्विक निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए योजना के तहत अनुमोदित आवेदकों को आवेदन अनुमोदन तिथि से 5 वर्ष की अवधि के लिए 15 प्रतिशत के कम सीमा शुल्क पर न्यूनतम 35,000 अमेरिकी डॉलर के सीआईएफ मूल्य के साथ ई-4डब्ल्यू की पूरी तरह से निर्मित इकाइयों (सीबीयू) का आयात करने की अनुमति दी जाएगी।
अनुमोदित आवेदकों को योजना के प्रावधानों के अनुरूप न्यूनतम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करना अनिवार्य होगा। यह योजना ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहलों को और बढ़ावा देने के साथ ही वैश्विक और घरेलू दोनों कंपनियों को भारत की हरित गतिशीलता क्रांति में सक्रिय भागीदार बनाएगी।