जलवायु परिवर्तन से वनस्पति-आधारित आहार के पौष्टिक गुणों के प्रभावित होने की बात सामने आई है। मानवीय गतिविधियां वायु मंडल में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ा रही हैं, जिससे नतीजे में वैश्विक तापमान बढ़ रहा है। परिणामस्वरूप इसका असर दुनियाभर के पारिस्थितिक तंत्र में कई वनस्पतियों पर पड़ रहा है।
पृथ्वी पर पाए जाने वाले एक-तिहाई से अधिक प्राणी वनस्पति-आधारित आहार पर निर्भर हैं। पौधे कम कैलोरी वाले खाद्य स्रोत हैं, ऐसे में जानवरों के लिए उनसे अपनी जरूरत के मुताबिक ऊर्जा प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
जलवायु परिवर्तन के कारण पौष्टिक गुणों की कमी का असर जानवरों पर भी पड़ रहा है। इससे उनके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है जो सीधे तौर पर इको सिस्टम को प्रभावित करेगा
शोध बताते हैं कि सामान्य आहार के कम पौष्टिक होने पर पौधों पर निर्भर जानवर, भोजन की तलाश में अतिरिक्त समय खर्च करते हैं। ऐसे में पौष्टिक तत्वों की कमी इन जानवरों को कमजोर बनाती है जिसका असर उनकी प्रजनन क्षमता पर पड़ता है। इसके अलावा भोजन की तलाश में उनके शिकारियों द्वारा नुकसान पहुंचाए जाने का जोखिम भी बढ़ जाता है।
जानकारों के मुताबिक़ पौधों के पोषक गुणों में दीर्घकालिक परिवर्तन जानवरों की आबादी घटने का एक बड़ा कारण हो सकता है। हालांकि, पौधों के पौष्टिक गुणों में कमी का असर समुद्र के बढ़ते तापमान की तरह स्पष्ट रूप से नहीं नज़र आता लेकिन समय बीतने के साथ इसका व्यापक प्रभाव नजर आने लगता है।
अध्ययन बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन से फसलों के पौष्टिक गुण घटने शुरू हो जाते हैं। जिससे शारीरिक एवं मानसिक विकास पर असर पड़ता है। खाद्य पदार्थ में अहम भूमिका निभाने वाले माइक्रोन्यूट्रिएंट जिनमे कॉपर, मैग्नीशियम, आयरन और जिंक के स्तर में होने वाली कमी चिंता का विषय है।
पूर्वी और मध्य एशिया के अलावा अन्य क्षेत्रों में गेहूं तथा चावल पर अत्यधिक निर्भर मनुष्यों के स्वास्थ्य एवं अस्तित्व पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ने का अनुमान है। इसके अलावा वायु मंडल में बढ़ा कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर आने वाले दशकों में मानव शरीर में आयरन, जिंक और प्रोटीन की कमी बढ़ा सकता है।
नतीजे में मवेशियों के चारे में होने वाली पोषक तत्वों की कमी से न सिर्फ उनका स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है, बल्कि पशु पालकों की आमदनी पर भी असर पड़ रहा है।