केंद्र सरकार द्वारा शिक्षा व्यवस्था में एक बड़े बदलाव की जानकारी सामने आई है। शिक्षा मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि अब कक्षा पांच और आठ के बच्चों को फेल किया जा सकेगा। कक्षा उत्तीर्ण करने के लिए इन बच्चों को एक अवसर दिया जाएगा।
बदलाव के तहत कक्षा पांच और आठ की सालाना परीक्षा में फेल होने पर छात्र को दो माह के भीतर फिर से परीक्षा देने का मौक़ा दिया जायेगा लेकिन इसमें भी असफल होने पर बच्चे को उसी कक्षा में दोबारा पढ़ना होगा।
अभी तक लागू नो डिटेंशन पॉलिसी शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत कक्षा पांच और आठ के बच्चों को वार्षिक परीक्षा में फेल नहीं किया जाता था।
दरअसल साल 2010-11 से आठवीं कक्षा तक की परीक्षा में फेल होने के प्रावधान पर रोक लगा दी गई थी। अभी तक लागू नियम के मुताबिक़ बच्चे को आठवीं कक्षा तक फेल न करने का प्रावधान था।
इस नियम के तहत फेल होने के बावजूद छात्र को अगली कक्षा में भेज दिया जाता था। इस तरह से शिक्षा के स्तर में गिरावट आने लगी और इसका प्रभाव दसवीं तथा बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं पर पड़ने लगा।
कक्षा आठ तक के सभी छात्र पारंपरिक परीक्षाओं में बैठे बिना अगली कक्षा में प्रमोट हो जाते थे। यह नीति बच्चों के सतत और व्यापक मूल्यांकन पर जोर देती थी।
इस संबंध में केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। अधिसूचना में कहा गया है कि परीक्षा में फेल होने पर छात्र को दो माह के भीतर दोबारा परीक्षा में बैठने का मौका मिलेगा, मगर उसमें भी फेल होने पर अगली क्लास में प्रमोट नहीं किया जाएगा।
हालात को देखते हुए विचार विमर्श के बाद नियमों में बदलाव किया गया है। इस बदलाव के तहत फेल होने वाले छात्र को सुधार का मौका मिलेगा और टीचर इन छात्रों पर अतिरिक्त ध्यान दे सकेंगे। जिससे शिक्षा का स्तर भी बेहतर होगा।