सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली में पेड़ों की संख्या पर जोर दिया है। इस बारे में पीठ का कहना है कि वृक्षों की गणना के अलावा एक प्राधिकरण भी होना चाहिए जो यह सत्यापित करेगा कि वृक्ष अधिकारी ने उचित काम किया है या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने अब राजधानी दिल्ली के पेड़ों की गिनती पर सख्त रवैया अपनाया है। इसके लिए अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी में पेड़ों की गिनती की आवश्यकता पर जोर दिया है। इस बारे में कोर्ट का कहना है कि वह वृक्ष अधिकारी द्वारा किए जाने वाले काम की निगरानी के लिए एक प्राधिकरण बनाना चाहता है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर आवेदन में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी में हर घंटे पांच पेड़ काटे जाते हैं। इसमें केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को शीर्ष अदालत की मंजूरी के बिना अनुमति देने से रोकने की भी मांग की गई है।
शीर्ष अदालत दिल्ली सरकार को सर्वोच्च न्यायालय की अनुमति के बिना पेड़ों की कटाई की अनुमति देने से रोकने की मांग करने वाली एक याचिका पर मामले की सुनवाई कर रही थी।
जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और अभय एस ओका की पीठ ने कहा कि दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1994 के प्रावधानों के सख्त क्रियान्वयन के मुद्दे पर तत्काल ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है। इसके लिए एक प्राधिकरण बनाने की बात कही गई है। जिसका काम वृक्ष अधिकारी के कामकाज की निगरानी करना होगा।
बताते चलें कि 1994 के अधिनियम के प्रावधान, जो दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वृक्षों के संरक्षण का प्रावधान करते हैं, वृक्ष प्राधिकरण की स्थापना और कर्तव्यों के अलावा वृक्ष अधिकारी की नियुक्ति से संबंधित हैं।
सुनवाई के दौरान पीठ का कहना था कि हमारा हमेशा से मानना है कि पर्यावरण के मामलों में कठोर आदेश दिए जाने चाहिए। पीठ ने सुनवाई के समय उपस्थित वकीलों से सुझाव मांगे और प्राधिकरण के गठन के आधार पर बात की।
सुनवाई के दौरान पीठ का मानना था कि पक्षों की ओर से शामिल वकील इस मुद्दे पर अदालत से बात कर सकें, इसके लिए पीठ द्वारा निर्देश दिया गया कि याचिका 18 दिसंबर को सूचीबद्ध की जाए।
बताते चलें कि 22 नवंबर को सर्वोच्च न्यायालय ने विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का प्रस्ताव रखने के साथ कहा कि वह निर्देश देगा कि दिल्ली में पेड़ों की कटाई के लिए दी गई अनुमति पैनल की मंजूरी के बिना लागू नहीं होगी।
पीठ ने पर्यावरण संरक्षण तथा पेड़ों की सुरक्षा से संबंधित मामलों से जुड़े वकीलों की सराहना करते हुए कहा कि मामले में पेश होने वाले वकील बहुत सहयोगी रहे हैं। उन्होंने हमेशा निष्पक्ष रुख अपनाया है।