ईवीएम-वीवीपैट मामले में सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने चुनाव आयोग को इसकी जाँच का ज़िम्मा सौंपा है। सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्शन कमीशन को केरल में मॉक पोल में भाजपा को ईवीएम में अतिरिक्त वोट मिलने की शिकायत पर यह आदेश दिया है।
ईवीएम-वीवीपैट मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की बेंच ने यह निर्देश उस समय दिया जब ईवीएम से जुड़ी एक रिपोर्ट उसके संज्ञान में लाई गई।
वकील प्रशांत भूषण ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से प्रस्तुत की गई केरल के कासरगोड निर्वाचन क्षेत्र में ईवीएम पर किए गए मॉक पोल के संबंध में उठाई गई शिकायतों के हवाले से मनोरमा ऑनलाइन द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट का हवाला दिया।
ईवीएम मॉक पोल में बीजेपी को अतिरिक्त वोट मिलने के आरोपों की जाँच करे ईसी: SChttps://t.co/TZCzYaeaxj#EVM #SupremeCourt #Satyahindi
— Satya Hindi (@SatyaHindi) April 18, 2024
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक़ रिपोर्ट के हवाले से प्रशांत भूषण ने कहा कि लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट ने जिला कलेक्टर में शिकायत की थी कि कम से कम चार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में गलती से भाजपा के पक्ष में अतिरिक्त वोट दर्ज किये हैं।
न्यायमूर्ति खन्ना ने मनिंदर सिंह से इसकी जांच करने के लिए कहा है। बेंच मतदाता सत्यापन योग्य पेपर ऑडिट ट्रेल (verification of voter verifiable paper audit trail) की पर्चियों के 100 फीसद सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
चुनाव आयोग द्वारा अंतराल के बाद के सत्र में अदालत को इसके बारे में सूचना दी गई कि दावा ‘झूठा’ पाया गया है। बताते चलें कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में वीवीपैट सत्यापन केवल पांच रैंडम रूप से चयनित ईवीएम में दर्ज वोटों के लिए किया जाता है।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट से पता चला है कि याचिकाकर्ताओं में से एक अरुण कुमार अग्रवाल ने याचना की है कि प्रत्येक ईवीएम वोट का मिलान वीवीपैट पर्चियों से किया जाना चाहिए।