कोरोना की खबरे एक बार फिर से चर्चा में बढ़ने लगी हैं। ऐसे में टीकाकरण की रफ्तार पर ज़ोर दिया जा रहा है। ऐसे में अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी के मुताबिक़ वैक्सीन से बुजुर्गों में ब्रेन स्ट्रॉक का खतरा हो सकता है।
इस समय तैयार बाइवेलेंट कोविड-19 शॉट अमेरिकी दवा निर्माता फाइजर इंक और जर्मन पार्टनर बायोएनटेक के सहयोग से तैयार की गई है। इन दो कंपोनेंट को के इस्तेमाल के कारण ही इसे बाइवेलेंट वैक्सीन कहा जाता है। इस दौरान शुक्रवार को यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) और फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) की ओर मिली जानकारी ने चिंता में डाल दिया है।
सुरक्षा निगरानी प्रणालीके अनुसार एक सीडीसी वैक्सीन डेटाबेस ने एक संभावित सुरक्षा मुद्दे के ज़रिये बताया की 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों को 22-44 दिनों की तुलना में फाइजर/बायोएनटेक बाइवेलेंट शॉट प्राप्त करने के 21 दिनों के बाद इस्केमिक स्ट्रोक होने की संभावना बढ़ी थी। इस्कीमिक स्ट्रोक मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी तक ब्लड सप्लाई वाली किसी रक्त वाहिका में थक्के या एम्बोलाइ के कारण होते हैं।
बाइवेलेंट वैक्सीन मूल वायरस के स्ट्रेन के कंपोनेंट और ऑमिक्रॉन वैरिएंट के एक कंपोनेंट को मिलाकर तैयार की जाती है जोकि संक्रमण के खिलाफ ज्यादा सुरक्षा देती है।
फाइजर और बायोएनटेक की ओर से ये जानकारी दी गई है कि उन्हें टीकाकरण के बाद 65 और उससे अधिक उम्र के लोगों में इस्केमिक स्ट्रोक की सीमित रिपोर्ट के बारे में बताया गया है। इस बारे में कंपनियों का कहना है कि न तो फाइजर और बायोएनटेक और न ही सीडीसी या एफडीए ने अमेरिका और विश्व स्तर पर कई अन्य निगरानी प्रणालियों में समान निष्कर्षों को पाया है। उनके मुताबिक़ ऐसे निष्कर्ष निकालने के लिए कोई पर्याप्त सबूत नहीं है कि इस्कीमिक स्ट्रोक कोरोना वैक्सीन देने से जुड़ा है।