नयी दिल्ली 15 अक्टूबर : उत्तर प्रदेश के किसानों को अधिक से अधिक आर्थिक लाभ पहुंचाने के उद्देश से पहली बार ईरान को केले का निर्यात किया गया है।
ईरान को प्रयोग के तौर पर कल एक समारोह में केला भेजा गया। यह केला समुद्र मार्ग से ईरान जायेगा। इस प्रयोग के सफल होने पर निजी क्षेत्र बड़े पैमाने पर उत्तर प्रदेश से केले का निर्यात कर सकते हैं। केला दुनिया के सबसे लोकप्रिय फलों में से एक है। यह उत्पादन के मामले में गेहूं, चावल और मक्का के बाद चौथी सबसे महत्वपूर्ण खाद्य फसल हैं और खपत मात्रा के मामले में दुनिया के पसंदीदा फल हैं। इसे न केवल कच्चा खाया जाता है, बल्कि जूस, सॉस, पके हुए माल और विभिन्न व्यंजन बनाने में भी उपयोग किया जाता है ।भारत वैश्विक केले के उत्पादन का 30 प्रतिशत उत्पादन करता है।
उत्तर प्रदेश से कृषि निर्यात को बढ़ावा देने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात विकास प्राधिकरण ( एपीडा) वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने निर्बाध रूप से काम किया। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश से कल पहली केले की खेप ईरान के लिए मैसर्स- देसाई एग्रो फूड्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा रवाना की गई जो समुद्री मार्ग से भेजी जाएगी। लखीमपुर, बरेली और लखनऊ के किसानों ने भी इस इतिहासिक पल का हिस्सा बनने के लिए समारोह में सक्रिय रूप से भाग लिया। उत्पाद सीधे पलिया कलां (लखीमपुर) के किसानों से खरीदा गया था, जिसे लखनऊ लाया गया और वहां स्थित मैंगो पैकहाउस में पैक किया गया । करीब 40फूट के दो रेफर कंटेनर में कुल 40 टन केले की ईरानी बाजार में ट्रायल के आधार पर भेजा गया। यह पहली बार होगा जब अंतरराष्ट्रीय बाजार उत्तर प्रदेश में उगाए गए केले की मिठास का स्वाद चखेगा ।
उत्तर प्रदेश में कुल 3078.73 हजार मीट्रिक टन केले का उत्पादन होता है। उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों जैसे लखीमपुर, महाराजगंज, कुशीनगर, इलाहाबाद, कौशाम्बी आदि में अंतरराष्ट्रीय बाजार के निर्यात योग्य केले उगाने की अत्यधिक क्षमता है।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव, कृषि और विपणन ने उत्तर प्रदेश को कृषि निर्यात का केंद्र बनाने की दिशा में काम किए जाने पर एपीडा के प्रयासों की सराहना की। साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार के साथ पारस्परिक रूप से किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने का अनुरोध किया। संबोधन के दौरान उन्होंने सरकार द्वारा विकसित कृषि निर्यात नीति पर प्रकाश डाला। उत्तर प्रदेश के किसानों और व्यापारियों से इसका लाभ अधिक से अधिक मिले इसके लिए उन्होंने किसानों के लिए प्रक्षिच्छन कार्यक्रम आयोजित किए जाने पर जोर दिया ।
ए पी इ डी ए के निदेशक ने कहा कि कृषि उत्पाद निर्यात को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रक्षिक्षित किया जा रहा है और केले के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नए बाजार खोजे जा रहे हैं ।
ए पी इ डी ए के महाप्रबंधक ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में न केवल पके केले की भारी मांग है बल्कि इसके प्रसंस्कृत उत्पाद को भी लोग चाहते हैं ।
देसाई एग्रो फूड के निदेशक ने कहा कि केले के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए रोग मुक्त प्लांट मैटेरियल का उपयोग किया जाना चाहिए और काम उत्पादन वाले किस्मों को खेती से हटाया जाना चाहिए ।
इस अवसर पर लखीमपुर के किसानों ने बताया कि वे करीब 15 साल से केले की खेती कर रहे हैं लेकिन यह पहली बार है कि यहां से इसका निर्यात किया जा रहा है ।
देश से 415 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य का 135 हजार टन से अधिक केले का ईरान , खड़ी के देशों ,और यूरोपीय देशों को निर्यात किया जाता है जिसे 2022 तक 165 हजार टन तक बढ़ाया जा सकता है। केले के नए बाजार अमेरिका, रुस , जर्मनी ,जापान आदि हो सकते हैं। ईरान महीने में 2500 कंटेनर केले का आयात करता है ।
इस अवसर पर केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के निदेशक शालेंद्र राजन ने कहा कि दक्षिण पूर्व एशिया में केले को पनामा विल्ट बीमारी से बचाने के लिए देसाई एग्रो फूड को आई सी ए आर फ्यूजिकंट के उत्पादन का वैश्विक लाइसेंस दिया गया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए भी इस बीमारी की रोकथाम महत्वपूर्ण है जो प्रयोग में सफल हुआ है ।