7 अक्टूबर, 1950 की तारीख़, जब हज़ारों की संख्या में माओत्से तुंग की सेना तिब्बत में दाख़िल हुई. 19 सितंबर को चामडू शहर के बाहरी इलाक़े को क़ब्ज़े में ले लिया गया गया. जब सेना तिब्बत में दाख़िल हुई तो ये सब देखकर तिब्बत के प्रशासन से जुड़े लोग परेशान हो गए.
तिब्बत पर चीन के आठ महीने तक जारी क़ब्ज़े और चीन की ओर से बढ़ते दबाव के बीच तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा ने 17 बिंदुओं वाले एक विवादित समझौते पर हस्ताक्षर कर दिया जिससे तिब्बत आधिकारिक तौर पर चीन का हिस्सा बन गया.
लेकिन धार्मिक गुरु और नोबेल शांति पुरस्कार के विजेता दलाई लामा इस संधि को ‘अमान्य’ मानते हैं, क्योंकि “ये हस्ताक्षर एक असहाय सरकार पर जबरन दबाव बना कर कराया गया जबकि सरकार ये नहीं चाहती थी.” दलाई लामा महज़ 15 साल के थे जब उन्होंने इस समझौते पर हस्ताक्षर किया था
चीन तिब्बती इतिहास में इस प्रकरण को “शांतिपूर्ण मुक्ति” के रूप में बताता है, जबकि निर्वासित तिब्बती इसे ‘आक्रमण और क़ब्ज़ा’ कहते हैं.