इस बात में कोई शक नहीं है कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प बोरिस जॉनसन के प्रधानमंत्री बनने से बहुत ख़ुश हैं क्योंकि वह उन्हें अपना निष्ठावान शिष्य समझते हैं और अपने ही तरह नस्लभेदी जानते हैं।
यहां यह बात भी बताना आवश्यक है कि बोरिस जॉनसन के चुनावी अभियान की बागडोर अनाधिकारिक रूप से ट्रम्प के हाथ में ही थी क्योंकि दोनों ही शरणार्थियों से घोर नफ़रत करते हैं, दोनों ही मुसलमानों और इस्लाम के दुश्मन हैं और दोनों ही नंबर एक के नस्लभेदी हैं।
अब यह बात स्पष्ट हो गयी कि बोरिस जॉनसन को सत्ता में देखने के लिए डोनल्ड ट्रम्प इतना उत्सुक क्यों थे, क्या वह इस पद के योग्य थे इसलिए या उनको नस्लभेदी के रूप में अपना एक भाई और समर्थक मिल रहा था। यही नहीं उन्होंने लंदन यात्रा के दौरान ब्रिटेन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करते हुए बोरिस जॉनसन के लिए चुनाव प्रचार किया।
बोरिस जॉनसन के बारे में कहा जाता है कि उनके पूर्वज तुर्क थे और वह पलायन करके ब्रिटेन पहुंचे थे। उन्होंने कई बार मुसलमानों पर भद्दे कमेंट किए और उनका अपमान किया। वे मुसलमानों को बैंक का लुटेरा और पोस्ट बाक्स का डकैत तक मानते हैं। बोरिस जॉनसन यहीं पर नहीं रुके उन्होंने अपनी किताब की प्रस्तावना में लिखा कि इस्लाम की मुसलमानों के पिछड़ेपन का कारण है।
वह अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा पर हमला करने से भी नहीं चूके क्योंकि उनका भी अफ़्रीक़ा और इस्लाम से गहरा संबंध रहा है। बोरिस जॉनसन यहीं पर ख़ामोश नहीं रहे और इस्लाम पर हमला बोलते हुए कहते हैं कि दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है, चाहे बोस्निया में हो, इराक़, फ़िलिस्तीन या कश्मीर में, उसके पीछे इस्लाम का हाथ है।