ईरानी मीडिया के मुताबिक गिरफ्तार किए गए कुछ लोगों को मौत की सजा भी सुनाई गई है. ईरान के सरकारी टीवी चैनल ने कुछ तस्वीरों को जारी करते हुए कहा कि ये सीआईए अधिकारी संदिग्ध जासूसों के साथ संपर्क में थे.
ईरान के इन आरोपों पर अमेरिकी अधिकारियों और सीआईए की ओर से फिलहाल कोई जवाब नहीं आया है. जून 2019 में ईरान ने घोषणा की थी कि उसने देश के भीतर सीआईए के खुफिया नेटवर्क को पकड़ा है. हालांकि अब तक यह साफ नहीं है कि सोमवार को की गई घोषणा पुराने मामले से जुड़ी है या नहीं.
अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रभाव में आने के बाद से ईरान और अमेरिका के बीच टकराव लगातार जारी है. ईरान के मुताबिक, “पहचाने गए जासूस आर्थिक, परमाणु, सैन्य, साइबर और बुनियादी क्षेत्रों जैसे संवेदनशील और अहम सेक्टरों में काम कर रहे थे. यहां से वे बेहद गोपनीय जानकारी जुटा रहे थे.”
ईरान की अर्धसरकारी समाचार एजेंसी फार्स ने खुफिया मंत्रालय के हवाले से कहा है कि गिरफ्तार किए गए कुछ सीआईए अधिकारियों को मौत की सजा तो कुछ को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है. एक अधिकारी ने बताया कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने “वीजा ट्रैप” स्कीम के तहत लोगों की भर्ती की. एजेंसी ने ऐसे लोगों को चुना जो अमेरिका जाना चाहते थे. इसके बाद उनसे जासूसी के काम के बदले अमेरिका के इमीग्रेशन कागजात और वहां नौकरियां दिए जाने का वादा किया. अधिकारियों के मुताबिक पकड़े गए सभी संदिग्ध ईरानी नागरिक हैं.
जासूसी में शामिल अधिकतर ऐसे लोग हैं जिन्हें अमेरिकी वीजा लेते वक्त जासूसी के काम के लिए कहा गया. वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके पास पहले से वीजा था लेकिन जब उसे फिर से रिन्यू कराने की बारी आई तो सीआईए ने उन पर जासूसी के लिए दबाव बनाया. अधिकारियों ने बताया कि उनमें से कुछ लोगों के पास बहुत अच्छी ट्रेनिंग है और वे परमाणु और सैन्य क्षेत्रों में काम भी कर चुके हैं.
ईरान का दावा है कि कोई भी जासूस सेंधमारी के अपने इरादे में कामयाब नहीं हुआ. अप्रैल 2019 में ईरान ने दावा किया था कुछ सालों के भीतर ही उसने 300 सीआईए जासूसों को पकड़ा है.