नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार के सामने चुनाव सुधार के लिए एक उम्मीदवार के दो जगह से चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की सिफारिश भेजी है। केंद्र सरकार अगर इस प्रस्ताव को मान लेती है तो चुनाव में दो जगह से एक उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ सकेगा। election commission
दो जगह से चुनाव लड़ने की सूरत में एक जगह से जीतने पर छोड़ी गई सीट पर उपचुनाव का खर्च उम्मीदवार ही वहन करे। यानी चुनाव के लिए उचित धनराशि प्रत्याशी सरकारी खजाने में जमा कराए।
जनप्रतिनिधित्व कानून किसी व्यक्ति को आम चुनाव या उप-चुनाव या दो साल पर होने वाले चुनाव में अधिकतम दो सीटों से किस्मत आजमाने की इजाजत देता है। हालांकि, दोनों सीटें जीत जाने पर कोई व्यक्ति इनमें से किसी एक सीट पर ही कायम रह सकता है और दूसरी सीट उसे छोड़नी पड़ती है।
जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा में संशोधन
चुनाव कानूनों में 1996 में हुए एक संशोधन से पहले किसी व्यक्ति की ओर से लड़ी जा सकने वाली सीटों की संख्या पर कोई बंदिश नहीं थी। चुनाव सुधार पर इस महीने की शुरुआत में कानून मंत्रालय को भेजी गई अपनी सिफारिशों में चुनाव आयोग ने कहा कि उसने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 33 (7) में संशोधन का प्रस्ताव किया है।
साल 2004 के अपने प्रस्ताव में चुनाव आयोग ने कहा था कि यदि लोगों को एक से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने से रोकने के लिए कानून में बदलाव नहीं किए जा सकते तो जीतने वाले उम्मीदवार को सीट खाली करने पर वहां होने वाले उप-चुनाव का खर्च वहन करना चाहिए।
सीट खाली होने से बढ़ता है वित्तीय बोझ
सिफारिशों में कहा गया कि खाली हुई सीट पर उप-चुनाव कराने से सरकारी खजाने, मानवशक्ति और अन्य संसाधनों पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ के अलावा यह उस चुनाव क्षेत्र के वोटरों के साथ नाइंसाफी होती है, जहां की सीट उम्मीदवार ने खाली की हो।
आयोग ने कहा कि 2004 में जितनी धनराशि की सिफारिश की गई थी, उसमें उचित बढ़ोत्तरी कर दी जाए ताकि उम्मीदवारों के लिए यह बाधक का काम कर सके। करीब दो साल पहले चुनाव सुधार पर अपनी रिपोर्ट में न्यायमूर्ति ए पी शाह की अध्यक्षता वाले विधि आयोग ने भी किसी उम्मीदवार के एक से ज्यादा सीट पर चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की सिफारिश की थी।