लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिददीकी ने कहा है कि भाजपा के साथ सरकार बनाने के बाद भी मायावती ने आरएसएस का एजेंडा नहीं लागू होने दिया था। बसपा महासचिव ने सपा पर हमला करते हुए कहा कि सपाई अक्सर कहते हैं कि बसपा और भाजपा तीन बार मिलकर सरकार बना चुके हैं। सच तो ये है कि हमने भाजपा के साथ सरकार बना कर आरएसएस के एजेंडे को प्रदेश में लागू नहीं होने दिया, और मायावती ने इसके एवज में सीएम का पद छोड़ दिया। bahujan samaj party
बसपा-भाजपा गठबंधन की संभावनाओं पर बसपा महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने साफ इन्कार किया और कहा कि भाजपा और सपा ने उत्तर प्रदेश में 400 दंगे कराए हैं। उन्होंने कहा कि बीएसपी अब भाजपा से मिलकर कभी सरकार नही बनाएगी। वर्ष 1999 में केंद्र में भाजपा की सरकार को बसपा ने एक वोट से गिराकर सबक सिखाया था।
प्रदेश में जब जब बसपा की सरकार बनी है, तब तब भाजपा कमजोर हुई है। लेकिन जब सपा की सरकार बनी, तो भाजपा मजबूत हुई है। जबकि सपा ने भाजपा को मजबूत किया। नसीमुद्दीन ने कहा कि वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में यूपी में बसपा की सरकार थी। उस समय भाजपा के 9 सांसद थे। 2012 के विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश में सपा सरकार है, तो इस दौरान हुए चुनाव में भाजपा के 9 सांसद से बढकर 73 सांसद जीत गए। नसीमुद्दीन ने आरोप लगाया कि भाजपा और सपा की अंदरूनी सांठगांठ है, जिसे यूपी और सारा देश देख रहा है। bahujan samaj party
नसीमुद्दीन ने आरोप लगाया कि सपा के लोग किसी मुस्लिम को मंच पर स्थान नही देते। सपा का जन्म जनसंघ की मदद से हुआ है। कल्याण सिंह और मुलायम सिंह के मिलाप को कोई नहीं भूला है। भाजपा और सपा में आंतरिक गठबंधन पहले से ही है। सपा परिवार की शादी में भाजपा नेता आते हैं।
नसीमुददीन ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि सपा ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि वह मुसलमानों को आबादी के हिसाब से आरक्षण देगी और जेल में बंद मुसलमानों को रिहा किया जाएगा। लेकिन सपा के सारे वादे खोखले निकले और मुसलमानों से किया कोई भी वादा उसने पूरा नहीं किया। बसपा महासचिव ने कहा कि अब मुसलमान सपा के बहकावे में आने वाले नहीं हैं।
मुलायम पर भी लगाये आरोप
बसपा महासचिव ने कहा कि सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव 1967 में जसवंतनगर से जनसंघ की मदद से एमएलए बने थे। 1977 में वर्तमान संघियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, सरकार चलाई और मंत्री बने। 1989 से पहले पूरे देश में भाजपा की बहुत बुरी हालत थी। उसके केवल 2 सांसद आडवाणी और बाजपेयी थे। मुलायम सिंह ने भाजपा को जीवित किया। 1989 में लोकसभा और विधानसभा के साथ हुए चुनाव में वीपी सिंह और मुलायम सिंह ने गठबंधन कर चुनाव लड़ा और भाजपा को जीवनदान दिया।
नसीमुद्दीन ने आरोप लगाया कि हाल में सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने के उददेश्य से मुलायम ने बयान दिया कि 1990 में अयोध्या में और भी आदमी मरवाने पड़ते तो मरवा देता। चुनाव के पहले इस तरह के बयान बहकाने वाले हैं। उन्होंने कहा कि 1995 में जब भाजपा की मदद से सरकार चल रही थी, तो यही परिस्थिति बसपा के भी सामने थी। काशी में जलाभिषेक और मथुरा के ईदगाह में कार्यक्रम होना था। लेकिन मायावती ने कहा कि कोई नई परम्परा नहीं पड़ने दूंगी। जिसके एवज में बसपा को अपनी सरकार का बलिदान देना पड़ा। पर मायावती ने किसी हिंदू या मुसलमान को खरोंच तक नहीं लगने दी।
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