नई दिल्ली। ओपेक देशों और रूस के तेल उत्पादन सीमित करने को तैयार होने और अन्य वैश्विक कारणों से क्रूड की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। इस साल क्रूड का भाव अगस्त में 39 डॉलर प्रति बैरल था, जो बढ़कर अक्टूबर में 52 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है। रॉकेट स्पीड से बढ़ी इन कीमतों का असर भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर भी होगा। 15 अक्टूबर को होने वाली समीक्षा में दोनों के दामों में तेजी देखने को भी मिल सकती है, जिससे त्योहारों के उत्सव में डूबे भारतीयों को झटका लग सकता है। petrol diesel price
एनर्जी एक्सपर्ट नरेंद्र तनेजा ने बताया कि सीमित क्रूड उत्पादन पर सहमति भारत के साथ-साथ ग्लोबल इकोनॉमी के लिए भी अच्छा संकेत नहीं है। यह पहली बार हुआ है जब सऊदी, ईरान और वेनेजुएला में उत्पादन सीमित करने पर सहमति बनी है। नवंबर की ओपेक मीटिंग में इस पर अंतिम मुहर लग सकती है।
भारत की अर्थव्यवस्था पर असर
भारत कुल खपत का करीब 80 फीसदी तेल आयात करता है। ऐसे में यदि क्रूड की कीमतें 60 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाती है तो पेट्रोल-डीजल और एलपीजी की कीमतों पर सीधा असर होगा। दरअसल, बीते दो सालों में कमजोर मानसून के बावजूद बेहतर प्रदर्शन कर रही थी, तो इसमें क्रूड की कम वैश्विक कीमतें बड़ा कारण रही थीं। ऐसे में दाम बढऩे से पूरी इकोनॉमी प्रभावित होगी। पेट्रोलियम वित्त वर्ष 2015-16 में भारत ने कुल 20.21 करोड़ टन क्रूड आयात किया था।
सीमित क्रूड उत्पादन पर सहमति भारत के साथ-साथ ग्लोबल इकोनॉमी के लिए भी अच्छा संकेत नहीं है। यह पहली बार हुआ है जब सऊदी, ईरान और वेनेजुएला में उत्पादन सीमित करने पर सहमति बनी है। नवंबर की ओपेक मीटिंग में इस पर अंतिम मुहर लग सकती है।
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