लीड्स: एक अध्ययन से पता चला है कि पिछले 25 वर्षों में अंटार्कटिक की पिघलती बर्फ की चादरों से 75 ट्रिलियन टन से अधिक पानी समुद्र में दाखिल हो चुका है।
जलवायु परिवर्तन के चलते हो रहे इस बदलाव से एक तिहाई बर्फ की चादरों का करीब एक तिहाई भाग समुद्र के पानी में मिल गया है।
यूके में लीड्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अध्ययन में सेटेलाइट से ली गई तस्वीरों की मदद ली। करीब 100,000 से अधिक इन सेटेलाइट रडार इमेज का विश्लेषण के दौरान वैज्ञानिकों को अंटार्कटिक पर बर्फ की चादरों की मात्रा में 40 प्रतिशत से अधिक की कमी देखने को मिली।
सेटेलाइट द्वारा ली गई ये तस्वीरें वर्ष 1997 और 2021 के बीच की थीं जिनमे बड़ी मात्रा में बर्फ की चादरों के घटने का क्रम देखा गया।
दूसरी ओर, इस अवधि के दौरान कुछ बर्फ की चादरों की मात्रा में वृद्धि भी देखी गई। आंकड़ों से पता चला कि एक तिहाई बर्फ की चादरों ने अपने मूल वजन का 30 प्रतिशत से अधिक खो दिया है, जिससे समुद्र में बड़ी मात्रा में पानी बढ़ गया है।
Over 40 Percent Of Antarctica’s Ice Shelves Reduced In Volume Over 25 Yearshttps://t.co/OPiHH3F1fm #Antarctic #climatechange #globalwarming pic.twitter.com/mCynugqWtv
— SpaceRef (@SpaceRef) October 13, 2023
वैज्ञानिकों का कहना है कि इतनी बड़ी मात्रा में पानी छोड़े जाने से समुद्री धाराएं अस्थिर होकर समुद्र का स्तर बढ़ सकता है।
विशेषज्ञों ने ये चेतावनी भी दी है कि मानव गतिविधि के कारण होने वाले जलवायु परिवर्तन के नतीजे में भविष्य में बर्फ तेजी से पिघलती रहेगी।
वैज्ञानिकों ने पाया कि अंटार्कटिका के पूर्वी तट पर लगभग सभी बर्फ की चादरें पिघल रही थीं, जबकि पश्चिमी तट पर कई चादरें वैसी ही रहीं या आकार में बढ़ गईं।
कुल मिलाकर, अंटार्कटिक बर्फ की चादर के पिघलने के कारण 1975 से अब तक समुद्र में 590 ट्रिलियन टन पानी बढ़ गया है।
सबसे अधिक पानी गेट्ज़ आइस शेल्फ़ से छोड़ा गया है, जानकारी के मुताबिक़ यहाँ से 19 ट्रिलियन टन पानी छोड़े जाने की खबर है जो कि एक बड़ी मात्रा है और भविष्य के लिए खतरे का संकेत भी।