तापमान के हर दिन बढ़ते रिकॉर्ड चिंता बढ़ा रहे हैं। यूरोपीय जलवायु एजेंसी कॉपरनिकस की रिपोर्ट इस वर्ष को दुनिया के लिए खतरे की घंटी बता रही है।
एजेंसी से मिली जानकारी में इस बार औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक काल के मुक़ाबले में कम से कम 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहेगा। इतिहास का सबसे गर्म अक्तूबर वाला यह दूसरा वर्ष है।
क्लाइमेट चेंज की बदौलत 2024 विश्व में अब तक का सबसे गर्म वर्ष होगा। इसी क्रम में अन्य वर्षों की तुलना में भारत भी नवंबर माह के अधिक गर्म होने के संकेत दे रहा है।
यूरोपीय एजेंसी के जानकारों का मानना है कि साल 2023 का तापमान, पूर्व-औद्योगिक काल के स्तर से 1.48 डिग्री सेल्सियस अधिक था, ऐसे में यह भी लगभग निश्चित नज़र आता है कि 2024 का वार्षिक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक जाएगा। इन लोगों का अनुमान है कि तापमान 1.55 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहेगा।
यूरोपीय जलवायु एजेंसी कॉपरनिकस की रिपोर्ट इसे दुनिया के लिए खतरे की घंटी बताती है। तापमान के हवाले से एजेंसी का कहना है कि औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक काल की तुलना में कम से कम 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहेगा।
इस वर्ष के 10 माह बीतने के आधार पर माना जा रहा है कि 2024 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष होगा। कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस की उप निदेशक सामंथा बर्गेस इस वर्ष को वैश्विक तापमान रिकॉर्ड में एक नया मील का पत्थर बताती हैं।
कॉपरनिकस एजेंसी के निदेशक कार्लो बुओनटेंपो इस संबंध में कहते हैं कि तापमान में निरंतर वृद्धि चिंताजनक है। आंकड़े बताते हैं कि यदि वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों की निरंतर बढ़ोत्तरी के चलते वैश्विक गर्मी नहीं होती, तो धरती पर रिकॉर्ड तोड़ तापमान का इतना लंबा क्रम देखने को नहीं मिलता।
यूरोप सहित उत्तरी कनाडा में तापमान औसत से अधिक जबकि मध्य-पश्चिमी अमरीका में बहुत अधिक पाया गया है। तापमान में लंबे समय तक उतार-चढ़ाव को बुओनटेंपो दुनिया के लिए एक बुरा संकेत बताते हुए कहते हैं कि पेरिस में 2015 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में विश्व नेताओं ने जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचने के लिए वैश्विक औसत तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने की प्रतिबद्धता जताई थी।
इस वर्ष के 10 माह बीतने के आधार पर कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस की उप निदेशक सामंथा बर्गेस का कहना है कि इतना तय है कि 2024 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष होगा। इस वर्ष को वह वैश्विक तापमान रिकॉर्ड में एक नया मील का पत्थर बताती हैं, जो आगामी जलवायु परिवर्तन सम्मेलन सीओपी29 में जलवायु संबंधी लक्ष्य को पाने के लिए एक उत्प्रेरक के तौर पर काम करेगा।