यूरोपीय राजधानी ब्रसेल्स में एक सौ तीस संगठनों ने फिलिस्तीनी लोगों के पक्ष और इजरायल की निंदा में एक बड़ा विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में बुजुर्गों, बच्चों और विकलांगों सहित एक लाख से अधिक लोगों ने भाग लिया।
रविवार 15 जून को हुए इस प्रदर्शन को आयोजकों ने ‘रेड लाइन’ नाम दिया, जिसमें प्रतिभागियों से अपील की गई थी कि एकजुटता के प्रतीक के रूप में कुछ लाल पहने या लाएं। कपड़े, चिह्न या स्कार्फ आदि। इसके अतिरिक्त, केवल फ़िलिस्तीनी झंडों की अनुमति दी गई थी।
इसमें राजनीतिक झंडे या अन्य संगठनों के झंडे के लिए मनादि थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि नस्लवादी या हिंसक बयानों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, न ही यहूदी-विरोधी, इस्लामोफोबिया या हिंसा के महिमामंडन के बयानों को बर्दाश्त किया जाएगा।
इस प्रदर्शन के ज़रिए फिलिस्तीन पर संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर एक संदेश देने का प्रयास किया गया है, जो 17 जून 2025 को न्यूयॉर्क में शुरू होगा। वक्ताओं ने मांग की कि यूरोपीय सरकारें इजरायल के खिलाफ अपनी चुप्पी खत्म करें और इजरायल पर प्रतिबंध लगाएं।
प्रदर्शन को रेड लाइन नाम देने का उद्देश्य यूरोपीय सरकारों की उदासीनता को उजागर करना और यह दिखाना था कि गाजा में फिलिस्तीनियों पर इजरायल द्वारा एकतरफा थोपे गए विनाश के खिलाफ अब लोगों की तरफ से रेड लाइन खींची गई है।
प्रदर्शन नॉर्ड स्टेशन से शुरू हुआ और विभिन्न मार्गों से होते हुए यूरोपीय मुख्यालय पर समाप्त हुआ।
इस श्रृंखला का उद्देश्य “नागरिकों के प्रति निरंतर हिंसा, भुखमरी के खिलाफ़ – बल्कि मानवाधिकारों का उपदेश देने वाली यूरोपीय सरकारों के रवैये के खिलाफ़ भी खड़ा होना है जो मूकदर्शक बनी रहती हैं और देखती रहती हैं।”
इस प्रदर्शन के ज़रिए फिलिस्तीन पर संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर एक संदेश देने का प्रयास किया गया है, जो 17 जून 2025 को न्यूयॉर्क में शुरू होगा।
प्रदर्शन की शुरुआत में, जाने-माने बेल्जियम के कलाकारों ने न केवल फिलिस्तीनियों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के संदेश दिए, बल्कि अपनी कला का प्रदर्शन भी किया।
प्रदर्शन की शुरुआत में बैनर पर लिखा था- “जब तक राजनेता अपनी रेखा नहीं खींचते, हम (लोग) गाजा के लोगों के लिए अपनी लाल रेखा खींच रहे हैं।”
प्रदर्शन में शामिल लोग इजरायल की निंदा करते हुए तरह-तरह के नारे लगाते रहे, अमरीकी दूतावास के पास से गुजरते हुए उन्होंने “शेम ऑन अमरीका” और “शेम ऑन यू” के नारे भी लगाए। वक्ताओं ने मांग की कि यूरोपीय सरकारें इजरायल के खिलाफ अपनी चुप्पी खत्म करें और इजरायल पर प्रतिबंध लगाएं।