लखनऊ। एक के बाद एक बगावत और पार्टी नेताओं के टूटने के बाद बहुजन समाज पार्टी रविवार को आगरा में रैली कर विरोधियों को ताकत का अहसास कराएगी। इसे चुनावी हुंकार के साथ ही बसपा मंडलीय रैलियों के जरिए डैमेज कंट्रोल अभियान का हिस्सा माना जा रहा है।
दलितों का गढ़ माने जाने वाले आगरा में बसपा ने रविवार को भीड़ जुटाने के लिए पूरा जोर लगा दिया है। स्वामी प्रसाद मौर्य और आरके चौधरी जैसे दिग्गजों की बगावत और दयाशंकर प्रकरण के बाद से बैकफुट पर आयी बसपा प्रमुख भीड़ जुटा कर ताकत दिखायेंगी। ये माया का ब्रह्मास्त्र माना जाता है। पूर्व में भी जब जब मायावती पर विरोधी हावी हुए या फिर वो घिरती नज़र आयीं तो भीड़ जुटाकर ताकत दिखायी।
बसपा प्रमुख आगरा रैली के जरिए दलित वोटों में कोई बिखराव न होने का संदेश भी देंगी। वे सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय नाम देकर बसपा सामाजिक गणित सुधारने की कोशिश में लगी हैं। खास कर अल्पसंख्यक व ब्राह्मण समाज की भीड़ जुटाने में ताकत लगाई गयी है। आगरा के साथ अलीगढ़ मंडल से भीड़ जुटाने का काम हो रहा है। राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी, रामवीर उपाध्याय व श्यामसुंदर शर्मा जैसे दिग्गजों पर अपने समाज की भीड़ जुटाने का दारोमदार है। रैली से घोषित स्थानीय प्रत्याशियों के अलावा पार्टी के पदाधिकारियों का भविष्य भी भीड़ से तय होगा।
आगरा के बाद 20 अगस्त को मुलायम सिंह यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में बसपा प्रमुख मायावती रैली कर सपा को ललकारेंगी। उसके बाद इलाहाबाद में चार सितंबर को मायावती बसपा की ताकत दिखायेंगी। परेड ग्राउंड में आयोजित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली से भी ज्यादा भीड़ जुटाने में जुटे बसपा नेताओं का दावा है कि डैमेज कंट्रोल ही नहीं प्रदेश की सत्ता में वापसी का रास्ता भी इन रैलियों से साफ होगा।