लखनऊ . अंग्रेजों के ‘कमिश्नर राज’ से दुरुस्त होगी यूपी की कानून व्यवस्था. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सूबे में कानून व्यवस्था को लेकर एनसीआर समेत बड़े शहरों में अंग्रेजों के जमाने के कमिश्नर राज (आयुक्त प्रणाली) को लागू करने पर विचार कर रही है.
गृह विभाग के सूत्रों की मानें तो इसकी कोशिश अखिलेश सरकार के दौर में शुरू तो हुई थी, लेकिन अंजाम तक नहीं पहुंच सकी. इसके लिए बाकायदा मॉडर्न पुलिस बिल 2015 तैयार किया गया. सूबे में अधिकारियों और जनता से फीडबैक भी मांगा गया, लेकिन आगे की कार्रवाई फाइलों में बंद हो गई.
अब सत्ता परिवर्तन के बाद सूबे की नई योगी सरकार के सामने भी कानून व्यवस्था बड़ी चुनौती बन कर सामने आई है. जिसके बाद पुलिस सुधार जैसे मुद्दों पर चर्चा एक बार फिर शुरू हुई है. पुलिस सुधारों की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक लड़ने वाले पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने भी हाल ही में सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाक़ात कर पुलिस सुधार लागू करने की अपील की थी.
सूत्रों की माने तो सूबे के नोएडा, गाज़ियाबाद, मेरठ, आगरा, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, बरेली, झांसी और गोरखपुर जैसे शहरों में पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू करने पर विचार चल रहा है.
बता दें पुलिस सिस्टम में सुधार की बात कई बार उठी है. देश के कुछ शहरों में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम प्रभावशाली है. दिल्ली, मुंबई औऱ बंगलुरु जैसे शहरों में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू है. .जहां पर मजिस्ट्रियल पावर के अलावा भी पुलिस को कई अतिरिक्त अधिकार मिले हुए हैं. मुद्दा ये है कि पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम बेहतर है या फिर मौजूदा समय में जो मजिस्ट्रियल प्रणाली है वो ज्यादा बेहतर हैं.
पुलिस प्रणाली में सुधार और पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम को लागू करने की बातें कई बार उठती रही हैं. मौजूदा वक्त में पूरे देश में 47 पुलिस कमीश्नर हैं. जबकि बाकी जगह डीजीपी और आईजी समेत एसएसपी स्तर के अफसर कानून व्यवस्था संभालते हैं. पुलिस कमिश्नर प्रणाली के तहत अधिकारियों के पास ज्यादा अधिकार रहते हैं, जबकि मौजूदा वक्त में जो व्यवस्था है उसके तहत मजिस्ट्रेट के पास व्यापक अधिकार रहते हैं. लिहाज़ा जिले में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को मजिस्ट्रेट पर निर्भर रहना पड़ता है.
क्या है पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम?
दरअसल ये व्यवस्था अंग्रेजों के ज़माने की है. इसके तहत जिन शहरों की आबादी 10 लाख से ज्यादा है वहां कमिश्नर की नियुक्ति की जाती है। दिल्ली में 1979 में जेएन चतुर्वेदी को पहला पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया गया।
पुलिस के पास सीआरपीसी के तहत कई अधिकार आ जाते हैं, जिसमें भीड़ पर लाठीचार्ज, फायरिंग, धारा 144, होटल बार लाइसेंस, आर्म्स लाइसेंस जारी करने के अधिकार रहते हैं. आरोपी पर ज़ुर्माना लगाकर उसे जेल भेजने, राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, नारकोटिक्स, एक्साइज़ संबंधी शक्ति भी पुलिस कमिश्नर के पास रहती है. मजिस्ट्रियल सिस्टम में धारा 144, 07 और 51 की पावर डीसी के पास होती है.