भारी-भरकम शरीर वाले हाथी को भी अस्तित्व से जुड़े कई तरह के संकटों का सामना करना पड़ता है। भारत के अलावा दुनिया के अन्य देशों में भी हाथियों की आबादी को कई तरह के संकटों का सामना करना पड़ता है।
ऐसे में विश्व हाथी दिवस का मक़सद हाथियों के सामने आने वाले संकटों से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर आमजन और संगठनों को एक मंच पर लाना है।
विश्व हाथी दिवस की स्थापना 2011 में थाईलैंड में हाथी पुनरुत्पादन फाउंडेशन तथा कनाडाई फिल्म निर्माता पेट्रीसिया सिम्स ने की। इस तरह पहली बार 12 अगस्त 2012 को विश्व हाथी दिवस मनाया गया।
वर्ल्ड एलिफैंट डे, दुनिया भर के लोगों और संस्कृतियों के बीच हाथी के जीवन की दुर्दशा से अवगत कराने और उसे दूर करने का प्रयास करता है और आम लोगों में इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने का प्रयास करता है। भारतीय डाक ने हाथियों के संरक्षण और जागरूकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कुछ डाक टिकट भी चलाए हैं।
कनाडाई अभिनेता और स्टार ट्रेक आइकन विलियम शैटनर ने बंदी एशियाई हाथियों को जंगल में वापस लाने के बारे में 30 मिनट की एक डॉक्यूमेंट्री बनाई। ‘रिटर्न टू द फॉरेस्ट’ नाम की इस डॉक्यूमेंट्री में विलियम शैटनर ने इस पहल का समर्थन किया।
2012 में में विश्व हाथी दिवस की स्थापनाके बाद से पेट्रीसिया सिम्स इस परियोजना की प्रभारी हैं। इस परियोजना के तहत दुनिया भर में 100 हाथी संरक्षण संगठनों के साथ काम करते हुए अनगिनत लोगों को जागरूक करने में मदद मिली है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक़ हाथी दांत के लिए शिकारी अभी भी हर साल लगभग 20,000 हाथियों को उनके दांतों के लिए मारते हैं। हत्या के इस स्तर से हाथियों की आनुवंशिकी भी प्रभावित हो सकती है।