ब्रिटेन: कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमीक्रोन के फैलाव को रोकने के लिए ब्रिटिश सरकार लोगों को घरों से काम करने का निर्देश दिया है। जिसके चलते ऐसा करने में असमर्थ लोगों के लिये परेशानियां खड़ी हो गईं है।
नए नियम को लेकर भी ऐसी ही समस्या इस है कि यदि कोई व्यक्ति ओमीक्रोन स्वरूप से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है, तो उसे दस दिन तक आइसोलेशन में रहना होगा। इस नियम से उन लोगों के लिये परेशानियां खड़ी हो गई हैं, जिनके वेतन में बीमार पड़ने पर कटौती की जाती है। साथ ही वे लोग भी परेशान हैं, जो घर से काम नहीं कर सकते। इससे लोगों के सामने बीमार पड़ने पर भी काम पर जाने की मजबूरी पैदा हो गई है।
हालिया शोध से पता चलता है कि जो लोग कम वेतन पाते हैं, स्वरोजगार में लगे हैं और असुरक्षित नौकरी कर रहे हैं, उन्हें वित्तीय मजबूरियों के कारण काम पर जाना पड़ता है, जिसके चलते संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। एक अलग शोध में भी यह बात सामने आई है।
ब्रिटेन में बीमार पड़ने पर हर सप्ताह 96 पाउंड देने का प्रावधान है, लेकिन कई लोगों का इसमें गुजारा नहीं होता, जिसके चलते उनके पास काम पर जाने के अलावा कोई चारा नहीं रहता। इसके अलावा लगभग एक करोड़ 80 लाख कर्मचारी ऐसे हैं, जो बीमारी में होने वाले भुगतान के लिये योग्य नहीं हैं क्योंकि वे पर्याप्त वेतन नहीं कमाते हैं। जबकि 50 लाख लोग इसलिये इस सुविधा से वंचित हैं क्योंकि वे स्वरोजगार में लगे हुए हैं। अनेक शरणार्थी भी इस लाभ को प्राप्त करने के दायरे में नहीं हैं।
सरकार ने क्वारंटीन में रहने वालों को 500 पाउंड के भुगतान की पेशकश तो की है, लेकिन बिना अनुबंध के काम कर रहे हजारों कर्मचारियों के लिये इस लाभ को हासिल करना काफी मुश्किल है। हालिया विश्लेषण में ये बात सामने आई कि ब्रिटेन में त्योहारी सीजन में काम करने वाले पांच लाख से अधिक कर्मचारी बीमार पड़ने पर होने वाले भुगतान के लिये आवेदन नहीं कर पाएंगे।
ऐसे में हल के रूप में कहा जा रहा है कि काम देने वाली संस्थाओं को भी नियम और शर्तों को लेकर पारदर्शिता में सुधार करना चाहिये। ऐसा होने पर नए नियमों से प्रभावित लोगों को परेशानियों को कम किया जा सकता है।