भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारियों के संगठन द्वारा बनाई गई एक रिपोर्ट को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. रिपोर्ट में नए कर लाने और मौजूदा करों की दरें बढ़ाने का प्रस्ताव दिया गया है.
क्या केंद्र सरकार कोविड-19 से लड़ने में हुए खर्च की भरपाई करने के लिए जनता से ज्यादा टैक्स वसूलेगी? इस समय केंद्र सरकार इस सवाल को बेबुनियाद साबित करने में लगी हुई है, लेकिन यह सवाल केंद्र सरकार के ही कुछ नुमाइंदों ने खड़ा किया है. नए कर लाने और कर की दरें बढ़ाने का प्रस्ताव भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के अधिकारियों के संगठन से आया है.
Almost 50 young IRS officers submit policy suggestions for reviving India's economy, post COVID 19.#IRS: committed to help build Nation's economic immunity.@PMOIndia @nsitharamanoffc @Anurag_Office @FinMinIndia @IncomeTaxIndia pic.twitter.com/vZVqd9HG5S
— IRS Association (@IRSAssociation) April 25, 2020
25 अप्रैल को संगठन ने कई प्रस्तावों के साथ, ‘फिस्कल ऑप्शंस एंड रेस्पॉन्स टू कोविड-19 एपिडेमिक’ नाम की अपनी एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की और सोशल मीडिया पर डाल दिया. रिपोर्ट में सालाना 10 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाने वालों के लिए एक सीमित समय काल तक 40 प्रतिशत की टैक्स दर, 10 लाख से ज्यादा आय वाले लोगों पर एक नया चार प्रतिशत कोविड-19 सेस, पांच करोड़ से ज्यादा की संपत्ति वालों पर संपत्ति कर जैसे सुझाव हैं.
(1/3)There is some report circulating on social media regarding suggestions by a few IRS officers on tackling Covid-19 situation.
It is unequivocally stated that CBDT never asked IRS Association or these officers to prepare such a report.@nsitharamanoffc @Anurag_Office— Income Tax India (@IncomeTaxIndia) April 26, 2020
यह रिपोर्ट क्यों बनी, किसके कहने पर बनी यह सब तो अभी सामने नहीं आया है लेकिन रिपोर्ट ने केंद्र सरकार को सख्ते में डाल दिया है. सरकार ने ना सिर्फ रिपोर्ट से किनारा कर लिया है बल्कि मामले में जांच के निर्देश भी दे दिए हैं और कहा है कि जिम्मेदार पाए गए अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
सरकार के नाराजगी जाहिर करने के बाद आईआरएस एसोसिएशन ने कहा है कि रिपोर्ट 50 युवा अधिकारियों द्वारा बनाई गई थी और इसे संगठन ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज को विचार करने के लिए भेजा था. संगठन ने यह भी कहा है कि रिपोर्ट में दिए गए प्रस्ताव ना राजस्व सेवा के आधिकारिक विचार हैं और ना आयकर विभाग के. इसके बावजूद रिपोर्ट को सोशल मीडिया से हटाया नहीं गया है .
The paper FORCE by 50 young IRS officers suggesting policy measures had been forwarded by IRSA to CBDT for consideration. It does not purport to represent the official views of the entire IRS, or the IT Dept.
— IRS Association (@IRSAssociation) April 26, 2020
टैक्स की दरें एक संवेदनशील विषय होता है. अमूमन इनकी घोषणा साल में सिर्फ एक बार केंद्र सरकार द्वारा संसद में बजट प्रस्ताव रखते समय की जाती है और घोषणा हो जाने तक उसे अत्यंत गोपनीय ढंग से रखा जाता है. उसमें भी अमूमन वित्त मंत्री टैक्स की दरों की चर्चा अपने बजट भाषण के अंत में करते हैं. वित्त वर्ष 2020-21 के आम बजट में फरवरी में सरकार ने कई बदलाव लाए थे और कई विशेषज्ञों का आकलन है कि कुल मिला कर आम लोगों पर टैक्स का बोझ बढ़ा दिया गया है.
भारत में पहले संपत्ति कर हुआ करता था लेकिन 2015 में उसे समाप्त कर दिया गया था. तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि उस से पिछले वित्त वर्ष में संपत्ति कर से सिर्फ 1,008 करोड़ रुपये सरकार को मिले थे जो कि कर को वसूल करने में हुए खर्च के अनुपात में काफी कम था. उन्होंने उस वर्ष संपत्ति कर को समाप्त कर सालाना एक करोड़ रुपये से ज्यादा आय वाले लोगों से लिए जाने सरचार्ज को एक प्रतिशत से बढ़ा कर तीन प्रतिशत कर दिया था. पांच करोड़ से ज्यादा आय वालों के लिए सरचार्ज को पांच प्रतिशत से बढ़ा कर सात प्रतिशत कर दिया था.(dw.com)