एक नए अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि यो-यो डाइटिंग टाइप वन शुगर के मरीज़ों के लिए बेहद खतरनाक हो सकती है। अध्ययन से शरीर के वजन में लगातार परिवर्तन और टाइप वन मधुमेह वाले लोगों में गुर्दे की बीमारी के बढ़ते जोखिम को लेकर खुलासा किया गया है।
यो-यो डाइटिंग को बार-बार वजन घटाने और बढ़ाने के लिए किया जाता है। अध्ययन बताता है कि डाइटिंग का यह प्रकार टाइप वन मधुमेह से पीड़ित लोगों में गुर्दे की बीमारी के खतरे को काफी हद तक बढ़ा सकता है।
जिन मधुमेह रोगियों के वजन में अत्यधिक उतार-चढ़ाव होता है, उनके गुर्दों की रक्त से विषाक्त पदार्थों को छानने की क्षमता में 40% की कमी आ जाती है।
यो-यो डाइटिंग बार-बार वजन कम करने और फिर से वजन बढ़ाने का एक पैटर्न है। इसमें वजन कम करने के लिए कैलोरी को सीमित करना, फिर डाइट को रोकना और वजन फिर से बढ़ाना और फिर चक्र को दोहराना शामिल है।
शोधकर्ताओं ने जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्राइनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में बताया कि शोध के दौरान उन्होंने पाया है कि शरीर के वजन में लगातार परिवर्तन टाइप वन मधुमेह वाले लोगों में गुर्दे की बीमारी के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है।
फ्रांस के यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल सेंटर बोर्डो के प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर मैरियन कैमोइन ने एक प्रेस रिलीज़ में कहा- “जहां तक हमारी जानकारी है, यह इस संबंध को दर्शाने वाला पहला अध्ययन है।”
शोधकर्ताओं ने यह भी कहा कि यो-यो आहार का पालन करने वाले लगभग 35 प्रतिशत पुरुषों और 55 प्रतिशत महिलाओं के के वजन घटने और फिर से बढ़ने की प्रक्रिया का यह पैटर्न स्वस्थ लोगों और मधुमेह से पीड़ित लोगों में दिल की बीमारी का खतरा भी बढ़ाता है।