भारत के बहुप्रतीक्षित नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को किया जाएगा। इस अवसर पर एक ऐतिहासिक परंपरा को फिर से दोहराया जा रहा है। नए संसद भवन में सेंगोल की स्थापना की जाएगी।
गृह मंत्री अमित शाह ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी कि नया संसद भवन हमारे इतिहास, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और सभ्यता को आधुनिकता से जोड़ने का सुंदर प्रयास है। केंद्रीय गृहमंत्री ने स्वतंत्रता के एक ‘महत्वपूर्ण ऐतिहासिक’ प्रतीक ‘सेंगोल’ की प्रथा को फिर से शुरू करने का एलान करते हुए बतया कि यह अंग्रेजों से भारतीयों को सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक था।
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 14 अगस्त 1947 को तमिलनाडु की जनता से सेंगोल को स्वीकार किया था। सेंगोल तमिल भाषा के शब्द ‘सेम्मई’ से बना है। इसका अर्थ होता है धर्म, सच्चाई और निष्ठा।
गृह मंत्री ने जानकारी दी कि पीएम मोदी नए संसद भवन के उद्घाटन से पहले तमिलनाडु से सेंगोल प्राप्त करेंगे। इसे नए संसद भवन के अंदर स्पीकर के स्थान के पास रखा जाएगा।
गृहमंत्री अमित शाह ने आगे कहा कि इस पवित्र सेंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन से अधिक उपयुक्त, पवित्र और उचित स्थान कोई हो ही नहीं सकता।
यह लघु फिल्म पवित्र 'सेन्गोल' के ऐतिहासिक महत्त्व को दर्शाती है और बताती है कि कैसे यह अंग्रेजों से भारत को सत्ता हस्तांतरण के क्षण का प्रतीक बना।#SengolAtNewParliament pic.twitter.com/4xVbdmjMnh
— Amit Shah (Modi Ka Parivar) (@AmitShah) May 24, 2023
सेंगोल तमिल भाषा के शब्द ‘सेम्मई’ से बना शब्द है। सेंगोल राजदंड भारतीय सम्राट की शक्ति और अधिकार का प्रतीक हुआ करता था। इसका अर्थ धर्म, सच्चाई और निष्ठा है।
अमित शाह ने जानकारी दी कि 14 अगस्त 1947 को 10:45 बजे के करीब जवाहरलाल नेहरू ने तमिलनाडु की जनता से इस सेंगोल को स्वीकार किया था। यह अंग्रेजों से इस देश के लोगों के लिए सत्ता के हस्तांतरण का संकेत था। इसे इलाहाबाद के एक संग्रहालय में रखा गया था और अब इसे नए संसद भवन में रखा जाएगा।