अमरीका के येल विश्वविद्यालय तथा पर्यावरण कानून एवं नीति केंद्र के सहयोग से पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक 2024 के आंकड़े सामने आये हैं। इस सूचकांक द्वारा 180 देशों की सूची जारी की गई है। इस सूची में जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी तंत्र और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के आधार पर दुनिया भर के देशों को स्थान दिया गया है।
पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक (Environmental Performance Index) 2024 की इस सूची के अनुसार 180 देशों में भारत 27.6 अंको के साथ 176वें पायदान पर है।
जलवायु परिवर्तन सूचकांक के नज़रिए से देखें तो भारत 35 अंको के साथ 133वें स्थान पर है। वायु गुणवत्ता के क्षेत्र में दक्षिण एशिया में भारत को 6.8 अंको के साथ पांचवें पायदान पर है।
पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक 2024 के अनुसार कुल 180 देशों की सूची में भारत 176वें पायदान पर
यह रिपोर्ट साफ और सुरक्षित पीने के पानी तक पहुंच, इसके बुनियादी ढांचे और सामान्य जल उपलब्धता दोनों की कमी की और संकेत करती है।
भारत में दुनिया की 18 प्रतिशत आबादी वास करती है, लेकिन यहाँ वैश्विक ताजे या मीठे पानी की आपूर्ति का मात्र चार प्रतिशत ही उपलब्ध है। दक्षिण एशियाई देशों में भारत स्वच्छता एवं पेयजल सूचकांक के मामले में 25.6 अंको के साथ आठवें यानी अंतिम स्थान पर है।
रिपोर्ट खुलासा करती है कि कोई भी देश ईपीआई 2024 के आधार पर पूर्ण स्थिरता का दावा नहीं कर सकता है।
पर्यावरण सूचकांक की ये सूची अमरीका को 34वें स्थान पर रखती है, यहाँ उत्सर्जन में कमी ज़रूर आ रही है लेकिन इसकी गति बहुत कम है। जबकि चीन, रूस और भारत में पिछले वर्षों की तुलना में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की उच्च दर बनी हुई पाई गई है।
विकासशील देशों को चेतावनी देने वाली इस रिपोर्ट में कहा गया है कि औद्योगीकरण के मार्ग पर धनी देशों द्वारा की गई गलतियों से बचें। इसमें धनी देशों को यह भी याद दिलाने की अहम बात शामिल है कि वे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की ओर ले जाने वाले अत्यधिक उपभोग से सावधान रहें और विकासशील देशों में निवेश करने में मदद करें। ऐसा करने से पूरे ग्रह के लिए बेहतर और अधिक टिकाऊ भविष्य मिल सके।
(स्रोत : पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक 2024)