महासागरों के संरक्षण और उनकी बिगड़ती सेहत से जुड़ी चिन्ताएँ हर दिन गहरा रही है। विश्व भर में जैसे-जैसे मूंगे की चट्टानें (coral reefs) ख़त्म हो रही हैं, मछलियों के भंडार दरक रहे हैं। इन सबके बीच समुद्री तापमान का रिकॉर्ड अलग टूट रहा है।
इस हालात के बारे में वैज्ञानिक निरन्तर चेतावनी जारी कर रहे हैं। गहराती महासागर आपात स्थिति से निपटने के उद्देश्य से दुनियाभर के नेता फ़्राँस के नीस शहर पहुँच रहे हैं। यहाँ इस वर्ष का एक अहम सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र के तीसरे महासागर सम्मेलन (UNOC3) की मेज़बानी फ़्रांस का तटीय शहर नीस करेगा। 9 जून से 13 जून तक चलने वाले इस सम्मलेन के उच्चस्तरीय आयोजन की सह-अध्यक्षता फ्राँस और कोस्टा रीका कर रहे हैं। महासागर सम्मेलन (UNOC3) की थीम है- महासागर संरक्षण व सतत उपयोग के लिए कार्रवाई में तेज़ी और सभी पक्षों की लामबन्दी।
आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के लिए यूएन अवर महासचिव और इस सम्मलेन के लिए महासचिव ली जुनहुआ ने यूएन न्यूज़ को बताया कि जलवायु परिवर्तन, प्लास्टिक प्रदूषण, पारिस्थितिकी तंत्रों की हानि, और समुद्री संसाधनों के अत्यधिक इस्तेमाल से महासागरों के समक्ष एक अभूतपूर्व संकट उपजा है।
ली जुनहुआ ने पत्रकारों से कहा- “हमें आशा है कि इस सम्मेलन से अभूतपूर्व महत्वाकाँक्षा, नवाचारी साझेदारी और सम्भवत: एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रेरणा मिलेगी।”
विश्व नेता UNOC3 में वैज्ञानिक, कार्यकर्ता और व्यवसायी, महासागरों पर मंडराते संकट का सामना करने के इरादे से साझा प्रयासों के लिए एकत्र हो रहे हैं, ताकि नए संकल्पों, साझेदारियों और जवाबदेही को सुनिश्चित किया जा सके।
एक सप्ताह तक चलने वाली इस वार्ता में एक राजनैतिक घोषणापत्र और नीस महासागर कार्रवाई योजना को पेश किए जाने की उम्मीद है, जोकि महासागर संरक्षण व उनके सतत उपयोग पर लक्षित होगी।
यह संकट कोई भविष्य में घटने वाली आशंका नहीं है। इस वर्ष अप्रैल में, समुद्री सतह का तापमान, अपने दूसरे सबसे ऊँचे स्तर तक पहुँच गया। वहीं, इतिहास में चिन्ताजनक रफ़्तार से बड़े पैमाने पर मूंगा चट्टानों को नुक़सान पहुँच रहा है, वे सफ़ेद पड़ती जा रही हैं। कैरीबियाई, हिन्द महासागर, और प्रशान्त महासागर के कुछ हिस्सों में यह देखा जा सकता है।
क़रीब 25 फ़ीसदी समुद्री प्रजातियों को पोषित करने वाली मूंगे की भित्तियाँ (coral reefs) पर्यटन व मछुआरा समुदाय के लिए अरबों डॉलर का सहारा हैं, मगर वे हमारे सामने ग़ायब होती जा रही हैं। उन्हें हो रहे नुक़सान से जैवविविधता, खाद्य सुरक्षा और जलवायु सहनसक्षमता के लिए चिन्ताजनक दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं।
और यह क्षति केवल यहीं तक सीमित नहीं है। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कारण निकलने वाले अत्यधिक ताप का 90 फ़ीसदी महासागर ही अवशोषित कर रहे हैं। यह मात्रा अब अपनी सीमाओं को छू रही है।
ली जुनहुआ ने कहा कि प्लास्टिक प्रदूषण, जैवविविधता हानि, महासागर अम्लीकरण और उनका बढ़ता तापमान, सभी कुछ जलवायु परिवर्तन से ही जुड़ा हुआ है।
बदलाव के लिए किए गए प्रयास
मगर, इस संकट से निपटने के लिए प्रयासों में प्रगति भी दर्ज की गई है. वर्ष 2022 में, विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने अत्यधिक मात्रा में मछलियों को पकड़ने पर लगाम कसने के लिए एक समझौते को आकार दिया, जिससे अब हानिकारक सब्सिडी पर रोक लगी है।
अगले वर्ष, लम्बे गतिरोध के बाद, सदस्य देशों ने ‘High Seas’ सन्धि को पारित किया, ताकि अन्तरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में समुद्री जीवन को संरक्षित किया जा सके। यह समझौता अब नीस सम्मेलन में लागू किया जा सकता है।
लेकिन केवल नीतियों से ही पारिस्थितिकी तंत्रों के समक्ष उपजे इस जोखिम को दूर नहीं किया जा सकता है। “वैश्विक स्तर पर जवाबी कार्रवाई अपर्याप्त है।”
प्रगति, न केवल राजनैतिक इच्छाशक्ति पर निर्भर करती है बल्कि उसी स्तर पर संसाधन मुहैया कराए जाने की भी आवश्यकता है।