संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने के लिए कार्रवाई का आह्वान किया है।
महासचिव ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा उन्मूलन के अंतर्राष्ट्रीय दिवस यानी 25 नवंबर को महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा समाप्त करने के लिए कार्रवाई की अपील की।
गुटेरेस ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर अपने संदेश में कहा- “महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा की महामारी मानवता को शर्मसार करती है।”
अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर महिलाओं के खिलाफ हिंसा उन्मूलन के लिए 25 नवंबर से 10 दिसंबर तक यूनाइटे अभियान चलाया जा रहा है। 16 दिनों तक चलने वाले इस अभियान का समापन अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस यानी 10 दिसंबर को होगा।
आंकड़ें बताते हैं कि साल 2023 में 51,100 महिलाओं के साथ होने वाली यौनिक हिंसा एक क्रूर कृत्य के साथ समाप्त हुई। इनमे साथी और परिवार के सदस्यों द्वारा उनकी हत्या की बात सामने आई जो बताती है कि हर 10 मिनट में एक महिला की हत्या की गई।
ऐसे में #NoExcuse 2024 का यह अभियान महिलाओं के खिलाफ हिंसा को खत्म करने के लिए एकजुट होकर हिंसा में खतरनाक वृद्धि की ओर ध्यान दिलाएगा। साथ ही निर्णयकर्ताओं से जवाबदेही और कार्रवाई का आह्वान करते हुए प्रतिबद्धताओं को पुनर्जीवित करेगा।
रिपोर्ट यह भी बताती है कि महिलाओं और लड़कियों के विरुद्ध हिंसा (वीएडब्ल्यूजी) के मामले, दंड से मुक्ति, चुप्पी, कलंक और शर्म के कारण बड़े पैमाने पर रिपोर्ट नहीं किए जाते हैं।
1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की तरफ से जारी महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के उन्मूलन पर संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र में महिलाओं के विरुद्ध हिंसा को इस तरह से परिभाषित किया गया है- “लिंग आधारित हिंसा का कोई भी कार्य, जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं को शारीरिक, यौन या मनोवैज्ञानिक हानि या पीड़ा होती है या होने की संभावना होती है, जिसमें ऐसे कार्यों की धमकी, जबरदस्ती या स्वतंत्रता से मनमाने ढंग से वंचित करना शामिल है, चाहे वह सार्वजनिक या निजी जीवन में घटित हो।”
दुनिया भर के 37 देशों में अभी भी बलात्कार के अपराधियों को अभियोजन से छूट मिल जाती है। आज भी 49 देशों में महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाने के लिए कोई कानून नहीं है।
इसमें शारीरिक, यौन और मनोवैज्ञानिक किस्म के अत्याचार आते हैं। जिसमे करीबी साथी द्वारा हिंसा, मनोवैज्ञानिक दुर्व्यवहार, वैवाहिक बलात्कार से लेकर स्त्री हत्या तक शामिल है।
इसके अलावा पीछा करना, साइबर उत्पीड़न से लेकर जबरन यौन कृत्य, बाल यौन शोषण, जबरन विवाह भी इनमे शामिल है। दासता या यौन शोषण के लिए मानव तस्करी भी इसका हिस्सा है।
यह सभी हरकते महिलाओं के जीवन के विभिन्न चरणों को प्रभावित करती हैं। जिनमे शिक्षा, रोजगार के अलावा कई अवसर शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 1979 में महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन के कन्वेंशन (सीईडीएडब्ल्यू) को अपनाने के बावजूद, महिलाओं और लड़कियों के विरुद्ध हिंसा दुनिया भर में एक बड़ी भयानक समस्या का रूप धारण किए हुए है।
अफ़सोस की बात है कि वर्तमान में तीन में से केवल दो देशों ने घरेलू हिंसा को गैरकानूनी घोषित किया है, जबकि दुनिया भर के 37 देशों में अभी भी बलात्कार के अपराधियों को अभियोजन से छूट मिल जाती है। इसके अलावा 49 देशों में आज भी महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाने के लिए कोई कानून नहीं है।