भारत से भागकर ब्रिटेन में रह रहे कारोबारी विजय माल्या ने एक बड़ा रहस्योद्घाटन करते हुए कहा है कि देश छोड़ने से पहले उन्होंने बीजेपी नेता एवं वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाक़ात की थी और उन्हें बता दिया था कि मैं लंदन जा रहा हूं।
बुधवार को लंदन के वेस्टमिंस्टर कोर्ट के बाहर माल्या ने कहा, ‘मैं मामला निपटाने को लेकर जेटली से मिला था। मैंने उनसे कहा था कि मैं बैंकों से मामला निपटाना चाहता हूं, क्या आप बातचीच में मेरी मदद करेंगे।
माल्या का कहना है कि वह बैंकों का बक़ाया क़र्ज़ चुकाने के लिए तैयार थे, लेकिन बैंकों ने सेटलमेंट को लेकर सवाल खड़े किए। माल्या ने कहा कि मुझे बलि का बकरा बनाया गया है।
माल्या के इस बयान से बैंकों का क़र्ज़ा लेकर देश से फ़रार होने वाले कारोबारियों की मदद को लेकर मोदी सरकार एक बार फिर सवालों के घेरे में है।
हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पहले तो माल्या से मुलाक़ात से ही इनकार किया, लेकिन बाद में उन्होंने स्वीकार किया कि संसद भवन में चलते चलते वह उनसे मिले थे। उन्होंने कहा कि माल्या ने सांसद की हैसियत का ग़लत इस्तेमाल किया।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधान मंत्री मोदी से कहा है कि जेटली का इस्तीफ़ा लेकर इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए एक समिति का गठन करें, वहीं कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘भगोड़ों का साथ, लुटेरों का विकास’ भाजपा का एकमात्र लक्ष्य है। विजय माल्या, तो अरुण जेटली से विदाई लेकर, देश का पैसा लेकर भाग गया है? चौकीदार नहीं, भागीदार है!