इंदौर : पीलीभीत से सांसद और बीजेपी नेता वरुण गांधी यूपी विधानसभा चुनाव में नदारद हैं. उन्हें यूपी विधानसभा चुनावों के लिए बीजेपी की स्टार प्रचारकों की पहली लिस्ट में तो जगह ही नहीं मिली और दूसरी लिस्ट में भी उनका नंबर सबसे आखिर में आया. Varun gandhi
सात में से चार चरणों में प्रचार पूरा हो चुका है लेकिन वरुण कहीं सभा करते नजर नहीं आए. मंगलवार को इंदौर में वे एक कार्यक्रम में शामिल हुए, लेकिन वहां उन्होंने जो भाषण दिया उसने खुद मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया.
वरुण ने हर उस मुद्दे पर बात की जो मोदी सरकार के लिए कमजोर नस मानी जाती है. वरुण इंदौर के एक स्कूल में ‘विचार नए भारत का’ विषय पर व्याख्यान दे रहे थे.
बीजेपी के युवा सांसद ने अल्पसंख्यकों की दुश्वारियों को भी रेखांकित करते हुए कहा कि देश की आबादी में 17.18 प्रतिशत अल्पसंख्यक हैं, लेकिन इनमें से केवल चार फीसदी लोग उच्च शिक्षा हासिल कर पाते हैं. हमें इन समस्याओं को हल करना है.
वरुण ने देश में आर्थिक असमानता और कर्ज वसूली में भेदभाव को लेकर कहा कि देश के ज्यादातर किसान चंद हजार रुपये का कर्ज न चुका पाने के चलते जान दे देते हैं.
लेकिन विजय माल्या पर सैकड़ों करोड़ रुपये का कर्ज बकाया होने के बावजूद वह एक नोटिस मिलने पर देश छोड़कर भाग गया. उन्होंने देश के बड़े औद्योगिक घरानों पर बकाया कर्ज माफ करने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि अमीरों को रियायत दी जा रही है.
जबकि गरीबों की थोड़ी सी संपत्ति को भी निचोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. (वरुण के ये आरोप वैसे ही है जैसे विपक्ष खासकर कांग्रेस मोदी सरकार पर लगाती रही है.)
बीजेपी सांसद ने यह भी कहा कि जीडीपी विकास दर देश की तरक्की का वास्तविक पैमाना नहीं है और इस सूचकांक की वृद्धि पर फूल के कुप्पा होने की जरूरत नहीं है क्योंकि इससे स्वास्थ्य, अशिक्षा और महिलाओं की बेगारी की बुनियादी समस्याओं का हल नहीं मिलता है.