लखनऊ। गोसेवा के नाम पर धंधा चलाने वालों पर प्रधानमंत्री की नाराजगी व्यक्त करने के बाद भाजपा ने गोवंश प्रकोष्ठ और गंगा प्रकोष्ठ को बंद कर दिया। हालांकि, भाजपा इसके बंद करने के पीछे दूसरी कार्ययोजना का हवाला दे रही है, लेकिन सवाल यही उठ रहे हैं की मोदी की नाराजगी के बाद भाजपा ने ये कदम उठाया है। झांसी में हुई भाजपा कार्यसमिति की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले हुए। इस कड़ी में भाजपा ने प्रकोष्ठ कम कर दिए।
पहले भाजपा में 40 प्रकोष्ठ थे
पहले भाजपा में 40 से ज्यादा प्रकोष्ठ थे, लेकिन अब सिर्फ 17 प्रकोष्ठ हैं। इनमें 12 प्रकोष्ठ केंद्रीय नेतृत्व द्वारा बनाए गए हैं जबकि पांच प्रकोष्ठ राज्य ने गठित किया है। इन 17 प्रकोष्ठ में विधि, चिकित्सा, सहकारिता, आर्थिक, पूर्व सैनिक, बुनकर, सांस्कृतिक, शिक्षक, मछुआरा, व्यापार, स्थानीय निकाय, पंचायत, एनजीओ, वरिष्ठ नागरिक और लघु उद्योग जैसे प्रकोष्ठ का गठन किया गया है।
बदल गई है भाजपा की प्राथमिकता
भाजपा प्रकोष्ठ कम करके पदाधिकारियों की संख्या समेटने में लगी है, लेकिन इस बात पर हैरानी हुई कि गोसेवा और गंगा पार्टी की प्राथमिकता में होने के बावजूद इस प्रकोष्ठ को क्यों खत्म किया गया।
गोसेवा और गंगा हमारी प्राथमिकता
भाजपा के प्रदेश महामंत्री विजय बहादुर पाठक कहते हैं कि गोसेवा और गंगा हमारी प्राथमिकता है। प्रकोष्ठ के अलावा पार्टी ने कई प्रकल्प तय किए हैं। इनमें नमामि गंगे हमारा सर्वोच्च प्रकल्प है। इसके जरिए मां गंगा की सेवा होगी। पाठक का कहना है कि कार्यसमिति में कृषि प्रस्ताव में ही भाजपा ने गोसेवा का संकल्प लिया और प्रदेश सरकार से कई मांगें रखी गई। हमारी पार्टी हरियाणा और झारखंड में गोसेवा पर बेहतर काम कर रही है। उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर इस दिशा में बेहतर कार्ययोजना बनेगी।
विहिप ने केन्द्र को भेज रखी है चिट्ठी
बता दें कि विश्व हिंदू परिषद की गोरक्षा शाखा ने केंद्र सरकार से गायों के कल्याण के लिए अलग से मंत्रालय गठित करने की मांग कर रखी है। परिषद ने सरकार को इसके लिए अपनी समयसीमा भी बताने को कहा है। दरअसल, भारतीय गोवंश रक्षण परिषद नरेंद्र मोदी सरकार को उन वादों की याद दिला रही है, जो लोकसभा चुनाव के दौरान किए गए थे। परिषद का कहना है कि मोदी को अपना वादा पूरा करना चाहिए, क्योंकि गाय हिंदुओं के लिए काफी पवित्र मानी जाती है।