यूएनसीटीएडी की रिपोर्ट से पता चलता है कि साल 2024 में भारत में विकास दर में वृद्धि की उम्मीद है। इससे पहले वर्ष 2015 से 2019 के बीच वैश्विक वृद्धि की औसत दर 3.2 प्रतिशत थी।
मंगलवार को प्रस्तुत विश्व आर्थिक परिदृश्य के नए एडिशन में आईएमएफ ने कहा है कि भारत में वृद्धि दर 2024 में 6.8 प्रतिशत और 2025 में 6.5 प्रतिशत बने रहने का अनुमान है। यह वृद्धि दर घरेलू मांग में निरंतर मजबूती और बढ़ती कामकाजी उम्र की आबादी के प्रभाव को दर्शाती है।
इस रिपोर्ट के आधार पर कहा जा सकता है कि साल 2024 लगातार तीसरा वर्ष होगा जब वैश्विक अर्थव्यवस्था महामारी से पहले की तुलना में धीमी गति से बढ़ेगी।
रिपोर्ट में चीन के हवाले से कहा गया है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपनी आपूर्ति शृंखला में विविधता लाने के लिए विनिर्माण हेतु भारत पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
Growth Rate: '2024 में भारत की वृद्धि दर 6.5% रह सकती है', यूएनसीटीएडी ने अपनी रिपोर्ट में किया दावा#IndianEconomy #UNCTAD #GrowthRatehttps://t.co/ytiKdVdJmS
— Amar Ujala (@AmarUjalaNews) April 17, 2024
रिपोर्ट के मुताबिक़ विनिर्माण प्रक्रियाओं के विस्तार के चलते बहुराष्ट्रीय कंपनियों की बढ़ती प्रवृत्ति से देश के निर्यात पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसके अलावा कमोडिटी की कीमतों में नरमी देश के आयात के लिए लाभदायक होगी।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि साल 2023 में वैश्विक आर्थिक विकास को धीमा करने के लिए जिन जोखिमों ने काफी हद तक खतरा पैदा किया था, वे पूरी तरह से अमल में नहीं आए।
यूएनसीटीएडी की रिपोर्ट बताती है कि निकट भविष्य में भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से ब्याज दरों को स्थिर बनाए रखने की आशा है, हालाँकि सार्वजनिक उपभोग पर रोक लगाने वाले व्यय की भरपाई मजबूत सार्वजनिक निवेश मद में खर्च से होने की बात भी रिपोर्ट में कही गई है।
रिपोर्ट के अनुसार 2024 में चीन की अर्थव्यवस्था 4.9 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। दरअसल विपरीत परिस्थितियों के चलते चीनी बाज़ार कम खपत जैसी परिस्थितियों का सामना कर रहा है।