यूक्रेन के रिहायशी इलाक़ों में निरन्तर की जा रही बमबारी से बच्चों पर इसके भयानक असर पर पड़े हैं। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष ने इस ओर दुनिया का ध्यान आकृष्ट किया है।
शनिवार को यूक्रेन में यूनीसेफ़ के प्रतिनिधि मुनीर मम्मादज़ादे ने यहाँ के हालात को व्यथित कर देने वाला बताया है। अपने एक वक्तव्य में उन्होंने कहा कि घनी आबादी वाले इलाक़ों पर हमलों में बच्चों समेत अनेक लोग हताहत हुए हैं।
पोलतावा में एक रिहायशी इमारत पर मिसाइल हमले में तीन बच्चों के घायल होने का समाचार है, जबकि कई अन्य पिछले कुछ दिनों में सूमी, क्रामातोर्स्क समेत अन्य इलाक़ों में हुए हमलों में घायल हुए हैं। हिंसा के कारण ना केवल बच्चों को शारीरिक घावों से जूझना पड़ रहा है, बल्कि वे गहरी मनोवैज्ञानिक पीड़ा से भी गुज़र रहे हैं।
यूनीसेफ़ प्रतिनिधि ने कहा कि इन हमलों से इन बच्चों का शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हुआ है और उनके समग्र विकास को ठेस पहुँची है। यूक्रेन पर रूसी सैन्य बलों के हमले के बाद यह सर्दी का तीसरा मौसम है, और लड़ाई के अग्रिम मोर्चों पर भीषण बर्बादी हुई है। ऊर्जा प्रतिष्ठानों को निशाना बना कर किए गए हमलों से बड़े पैमाने पर ऊर्जा व बिजली आपूर्ति में व्यवधान आया है।
24 फ़रवरी 2022 को रूस द्वारा यूक्रेन पर पूर्ण स्तर पर आक्रमण को तीन साल जल्द पूरे हो रहे हैं। इस युद्ध में हज़ारों नागरिक मारे जा चुके हैं और आवश्यक बुनियादी ढाँचा बर्बाद हो गया है, जिससे अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव है।
लड़ाई के अग्रिम मोर्चेों में बदलाव और टकराव में तेज़ी के बीच, 1 करोड़ 40 लाख से अधिक यूक्रेनी नागरिकों को मानवीय सहायता की ज़रूरत है। इस टकराव की वजह से। दूसरे विश्व युद्ध के बाद का सबसे बड़ा शरणार्थी संकट उत्पन्न हो गया है। 63 लाख से अधिक शरणार्थियों ने भागकर पड़ोसी देशों में शरण ली है और 37 लाख अन्तरिक रूप से विस्थापित हो गए हैं।
रूसी सैन्य बलों के इन हमलों से बच्चों की पढ़ाई में भी व्यवधान आया है। ओडेसा में दो स्कूलों के क्षतिग्रस्त होने की ख़बर है, जबकि निकोपोल और ज़ैपोरिझझिया में भी स्कूलों को नुक़सान पहुँचा है।
यूनीसेफ़ ने बच्चों और स्कूलों, स्वास्थ्य केन्द्रों, सामाजिक सेवाओं, ऊर्जा प्रणालियों की रक्षा सुनिश्चित किए जाने की अपनी अपील दोहराई है, जिन पर वे निर्भर हैं।
“घनी आबादी वाले इलाक़ों को विस्फोटक हथियारों से निशाना बनाए जाने से बचना होगा, हर बच्चे, हर आम नागरिक की भलाई के लिए।”
यूनीसेफ़ प्रतिनिधि ने ज़ोर देकर कहा कि टिकाऊ शान्ति की दरकार है, और एक ऐसा माहौल तैयार करना होगा, जिससे बच्चे युद्ध से उबर करके, अपनी शिक्षा व भविष्य को आकार दे सकें।
हिंसा जारी रहने से घरों, अस्पतालों और अन्य अहम बुनियादी ढाँचों को व्यापक पैमाने पर क्षति पहुँची है, और मानवीय संकट बरक़रार है। दोनेत्स्क और ख़ारकीव में अग्रिम मोर्चे पर सघन लड़ाई हो रही है, जिससे बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ है। जनवरी महीने के पहले दो हफ़्तों में, 1500 से अधिक लोग अपने घर छोड़कर भागने के लिए मजबूर हुए हैं।
हालात की गम्भीरता के मद्देनज़र, स्थानीय प्रशासन के सहयोग से सचल मेडिकल टीम को तैनात किया गया, जोकि ज़रूरतमन्दों को स्वास्थ्य देखभाल व मानसिक स्वास्थ्य समर्थन मुहैया करा रही हैं।