नयी दिल्ली 20 जुलाई : मझौले तथा छोटे शहरों में हवाई नेटवर्क बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई ‘उड़ान’ (उड़े देश का आम नागरिक) योजना के क्रियान्वयन में कोविड-19 की दूसरी लहर से देरी हो सकती है।
निजी साख निर्धारक एजेंसी इक्रा ने मंगलवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में यह बात कही। उसने कहा कि कोविड-19 की पहली लहर तथा अन्य कारणों से पिछड़ रही उड़ान योजना को गति देने के लिए सरकार ने इस साल मार्च में उड़ान 4.1 के तहत बोली प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की थी जिसके तहत 392 हवाई मार्गों पर हवाई सेवा शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन इसी बीच महामारी की दूसरी आने से विमान सेवा कंपनियों की वित्तीय हालत और खराब हो चुकी है। इस कारण उड़ान 4.1 की बोली प्रक्रिया में देरी हो सकती है।
इक्रा के कॉर्पोरेट रेटिंग्स प्रमुख शुभम जैन ने कहा “कोविड-19 की दूसरी लहर और भारतीय विमानन उद्योग पर इसके असर के कारण उड़ान 4.1 के तहत रूट आवंटन और उन पर सेवा शुरू होने में देरी हो सकती है।” नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने वर्ष 2024 तक 100 ऐसे हवाई अड्डों से ‘उड़ान’ के तहत सेवा शुरू करने का लक्ष्य रखा है जहाँ सप्ताह में 14 से कम उड़ानों का परिचालन हो रहा है। साथ ही योजना के अंतर्गत एक हजार मार्गों को जोड़ने का भी लक्ष्य है। इक्रा ने बताया कि इसमें 31 मई 2021 तक 52 हवाई अड्डों और 357 मार्गों को जोड़ा गया है।
श्री जैन ने कहा “इक्रा को उम्मीद है कि 100 हवाई अड्डों का लक्ष्य दो साल की देरी से वर्ष 2026 तक पूरा हो पायेगा (पहले यह काम 2019 तक करने का लक्ष्य रखा गया था जिसे बाद में बढ़ाकर 2024 कर दिया गया)। विमान सेवा कंपनियों की खराब वित्तीय स्थिति का असर उड़ान के तहत आवंटित मौजूदा मार्गों पर भी पड़ेगा, विशेषकर उन मार्गों पर जिनका आवंटन छोटी एयरलाइंस को किया गया है। साथ ही भविष्य में होने वाली बोली प्रक्रिया के भी प्रभावित होने की संभावना है।”
इक्रा ने बताया कि ‘उड़ान’ के तहत अब तक आवंटित मार्गों में से 31 मई 2021 तक मात्र 47 प्रतिशत मार्गों और 39 प्रतिशत हवाई अड्डों पर ही सेवा शुरू हो सकी है। योजना की शुरुआत अच्छी हुई और वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान 102 तथा 2019-20 के दौरान 120 मार्गों पर सेवा शुरू हुई, लेकिन पिछले वित्त वर्ष में मात्र 77 मार्गों पर ही सेवा शुरू हो सकी है। पिछले तीन साल में इस योजना के तहत सब्सिडी के रूप में सरकार ने 3,350 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद विमान सेवा कंपनियों को दी है। मौजूदा वित्त वर्ष के लिए इस मद में 1,130 करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन किया गया है।
इक्रा का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान विमान सेवा कंपनियों को 210 अरब रुपये का नुकसान हुआ और चालू वित्त वर्ष में उन्हें 127 अरब रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। कुछ एयरलाइन के पास पर्याप्त नकदी या वित्तीय सामर्थ्य है जिससे वे निकट भविष्य में अपना अस्तित्व बचाने में सक्षम होंगे। वहीं कुछ ऐसी एयरलाइन भी है जो इस समय भारी वित्तीय दबाव से गुजर रहे हैं।