आज विश्व जल दिवस है। वैसे तो हमारी धरती तीन चौथाई पानी से डूबी है मगर दुनिया में ताजे पानी के स्रोत तीन फीसदी से कम हैं। अफ़सोस की बात है कि यह आंकड़ा कम ही होता जा रहा है।
यूनिसेफ जल संकट के कारणों को बताने के साथ इसके संरक्षण पर भी बात करता रहा है। जहाँ एक ओर तेजी से जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण, कृषि उद्योग और ऊर्जा सहित कई क्षेत्रों में पानी की बढ़ती खपत के कारण जल की मांग बढ़ती जा रही है वहीँ जलवायु परिवर्तन, वर्षा का बदलता पैटर्न और मौसम से जुड़ी घटनाएं पानी की कमी को और बढ़ा रही हैं।
संयुक्त राष्ट्र मे वर्ष 2010 में सुरक्षित, स्वच्छ पेयजल एवं स्वच्छता के अधिकार को मानवाधिकार के रूप में मान्यता दी गई।
पानी के मूल्य और संरक्षण को देखते हुए 22 मार्च का दिन विश्व जल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन इन समस्याओं की गंभीरता से समझना और निवारण के प्रति सचेत करना है।
Water is key for peace, security & prosperity.
Yet, global water availability & quality are deteriorating at an alarming rate.
On Friday's #WorldWaterDay, let’s commit to protecting this precious resource. https://t.co/KLJn29Dh4I via @UNESCO pic.twitter.com/CgpTpAi5Xe
— United Nations (@UN) March 22, 2024
इस वर्ष जल दिवस का थीम ‘शांति के लिए जल’ है। इस थीम के जरिए यह संदेश दिया जा रहा है कि जब समुदाय और देश इस बहुमूल्य साझा संसाधन पर मिलकर सहयोग करते हैं तो पानी शांति का एक टूल बन सकता है।
पर्यावरण और विकास के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1992 में ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में एक सम्मेलन का आयोजन किया। इस दिन विश्व जल दिवस मनाने की पहल की गई। इसके बाद 1993 में पहली बार विश्व जल दिवस मनाया गया और तब से हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जा रहा है।