बड़ी संख्या में सांसदों के निलंबित होने के बावजूद लोकसभा से तीन बिल पास हो गए हैं। आपराधिक कानूनों से सम्बंधित यह बिल आतंकवाद, महिला विरोधी अपराध, देश द्रोह और मॉब लिंचिंग से संबधित नए कानून से जुड़े है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कानून से जुड़े इन बिलों के बारे में बताते हुए कहा कि इन बिलों के पेश करने का उद्देशय कानून व्यवस्था को बेहतर बनाना है, जो कि इस तरह हैं-
भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक-2023
भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता विधेयक-2023
भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023
गृहमंत्री अमित शाह ने इस मौके पर कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में पहले 485 धाराएं थीं, अब 531 धाराएं होंगी। तीन नए क्रिमिनल विधेयक लोकसभा में पास हो गए हैं। अब इसे राज्यसभा में रखा जाएगा।
आज बुधवार 20 दिसंबर को इन बिलों पर चर्चा के बाद इन्हे लोकसभा से पास कर दिया गया। इससे पहले नए कानून में आतंकवाद, महिला विरोधी अपराध, देश द्रोह और मॉब लिंचिंग से संबधित नए प्रावधान प्रस्तुत किए गए।
आपराधिक कानूनों से जुड़े तीन बिल लोकसभा से पास हो गए हैं. यह बिल ऐसे समय में पारित हुए हैं, जब संसद से 143 सांसदों को निलंबित कर दिया गया है. #LokSabha #Parliament #WinterSession #BhartiyaNyaySanhitahttps://t.co/Tg2DsVut6o
— ABP News (@ABPNews) December 20, 2023
वर्तमान में संसद के 143 सांसद निलंबित हैं, जिनमें से 97 सासंद लोक सभा के हैं, जबकि 46 राज्य सभा से हैं। आज ही सदन की अवमानना के मामले में दो विपक्षी सदस्यों को स्पीकर ने निलंबित किया है। इनमे सी थॉमस और ए एम आरिफ को संसद सत्र की शेष अवधि तक के लिए निलंबित किया गया है।
गौरतलब है कि इससे पहले सोमवार को लोकसभा के 33 और राज्य सभा के 45 सांसदों तथा उसके अगले ही दिन मंगलवार को 49 सासंदों को निलंबित किया था। इसकी क्रम में गुरुवार 14 दिसंबर को लोकसभा के 13 जबकि राज्यसभा से एक सदस्य का निलंबन हुआ था।
महिलाओं के विरुद्ध अत्याचार मामले में इस बिल में गैंगरेप के मामलों में अब 20 साल की सजा या आजीवन कारावास का प्रवाधान किया गया है।
साथ ही झूठे वादे या पहचान छुपाकर यौन संबंध बनाना भी अब अपराध की श्रेणी में शामिल होगा। ऐसा करने पर 18 वर्ष से कम आयु की लड़की से दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास या मृत्यु दंड का प्रावधान किया गया है।
यौन हिंसा के मामलों में बयान महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा ही रिकॉर्ड किया जाएगा। पीड़िता का बयान उसके आवास पर महिला पुलिस अधिकारी के सामने ही दर्ज होगा। बयान रिकॉर्ड किए जाने के समय पीड़िता के माता/पिता या अभिभावक मौजूद रह सकते हैं।
केंद्र सरकार ने दावा किया है कि आपराधिक कानून से जुड़े ये तीन बिल जन-केंद्रित हैं। इन बिलों का मुख्य उद्देश्य नागरिकों के संवैधानिक, मानवीय और व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करना है।