जर्नल टेम्परेचर में प्रकाशित एक नए अध्ययन से मिली जानकारी से पता चला है कि साल 2001 से 2019 तक भारत में चरम मौसम के कारण 35,000 से अधिक जाने गई हैं। अध्ययन बताता है कि ठंड के संपर्क में आने से होने वाली मौतों की तुलना में हीटस्ट्रोक से होने वाली मौतें अधिक हैं।
जर्नल टेम्परेचर अध्ययन भारत जैसे मध्यम-आय वाले देश में नियमित रूप से हो रहीं चरम घटनाओं पर फोकस करता है। हालांकि चरम मौसमी घटनाओं को लेकर किए गए अधिकांश अध्ययन धनी देशों या किन्ही विशेष घटनाओं पर केंद्रित रहे हैं।
अत्यधिक गर्मी और ठंड के कारण होने वाली ज़्यादातर मौतें उत्तर प्रदेश, पंजाब और आंध्र प्रदेश में रिकॉर्ड हुई हैं। इन पीड़ितों में कामकाजी उम्र के पुरुषों की संख्या अधिक थी।
हर दिन तपती धरती और उसकी बदौलत चलने वाली हीट स्ट्रोक या फिर ठंडे मौसम के कारण होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
अध्ययन बताता है कि भारत में साल 2015 में 1,907 मौतें लू से जबकि 1,147 मौतें अत्यधिक ठंड के कारण हुईं हैं। वहीँ साल 2001 से 2019 के बीच का आंकड़ा देखें तो पाते हैं कि भारत में हीट स्ट्रोक के कारण 19,693 जबकि ठंड से 15,197 मौतें हुईं हैं।
अध्यन से यह भी पता चलता है कि उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और पंजाब में लू से सबसे ज्यादा मौतें हुईं, जबकि ठंड से मरने वाले राज्यों में भी उत्तर प्रदेश के अलावा पंजाब और बिहार के लोगों की संख्या सबसे अधिक रही।
बताते चलें कि टेंपरेचर नामक पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन के लिए भारत मौसम विज्ञान विभाग और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो समेत कई स्रोतों से डाटा जुटाया गया। यह पत्रिका जीवित लोगों और तापमान से सम्बंधित शोधपत्र प्रकाशित करती है।