वैज्ञानिकों ने हाल ही में दुनिया का सबसे बड़ा मूंगा पाया है जो संभवतः 300 वर्षों से सोलोमन द्वीप में बिना किसी रुकावट के विस्तार पा रहा है। अपने विशालकाय आकार के साथ कोरल ट्राएंगल की आश्चर्यजनक जैव विविधता को उजागर करता है।
नेशनल ज्योग्राफिक प्रिस्टिन सीज़ टीम के एक शोध पोत को थ्री सिस्टर्स आइलैंड समूह में यह मूंगा (Coral) नज़र आया। इस मूंगे के आकार की बात करें तो इसकी चौड़ाई 112 फीट, लम्बाई 105 फीट और ऊंचाई 18 फीट है। इसका आयतन 600 फीट से अधिक है। वैज्ञानिक इस बात पर भी हैरान है कि यह अभी तक उनकी निगाहों से छिपा रहा।
एक संयोग के तहत इस कोरल की खोज उस समय हुई जब खोजी दल की यह टीम सोलोमन द्वीप के दूसरे हिस्से में जाने की तैयारी कर रही थी। टीम ने इस यात्रा में 42 फीट पानी के नीचे स्थित मेगा कोरल को देखा। अभियान के प्रमुख वैज्ञानिक मौली टिमर्स ने रिपोर्ट में बतया है कि यह हमारे दूसरे हिस्से में जाने से एक रात पहले मिला था।
संयोग से मिलने वाला यह कोरल लगभग 300 वर्ष पुराना है, इसमें लगभग एक अरब आनुवंशिक रूप से समान प्रवाल पॉलीप्स हैं जो एक जीव के रूप में मिलकर कार्य करते हैं। इसका आकार इतना बड़ा है कि अंतरिक्ष से भी नज़र आ सके।
नेशनल जियोग्राफ़िक एक्सप्लोरर और प्रिस्टिन सीज़ के संस्थापक एनरिक सिल्ला इस मूंगे के बारे में कहते हैं- “जब आप सोचते हैं कि ग्रह पर तलाशने के लिए कुछ भी नहीं बचा है तब हमें लगभग एक अरब छोटे पॉलीप्स से बना एक विशाल मूंगा मिलता है, जो जीवन और रंग से भरपूर होता है।”
आगे वह कहते हैं कि यह एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोज है, जैसे दुनिया का सबसे ऊंचा पेड़ तलाशना, लेकिन यह सुरक्षित नहीं है। उनका कहना है कि अपने सुदूर स्थान के बावजूद इस मूंगे को ग्लोबल वार्मिंग और अन्य मानवीय क्रिया कलापों से खतरा है।
बताते चलें कि यह विशालकाय मूंगा दरअसल एक जीव है जो पॉलीप्स (polyps) के एक जटिल नेटवर्क से बना होता है। इसे पावोना क्लैवस या शोल्डर ब्लेड कोरल के रूप में पहचाना जाता है। दरअसल ये छोटे-छोटे व्यक्तिगत जीव हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस मूंगे के निर्माण में लगभग एक अरब पॉलीप्स एकत्र हैं।
कोरल की यह कालोनी इतनी विशाल है कि इसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है। कई रंगों के संगम में इसके आयाम और और रंग-बिरंगा अस्तित्व इसे समुद्री जीव विज्ञान का एक चमत्कार बनाता है।