बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट पेश की गयी। इस रिपोर्ट पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई वाली कमेटी को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। यह विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में पेश होने की उम्मीद है।
इससे पहले बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर हाई लेवल कमेटी की रिपोर्ट रखी गई। पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाले पैनल ने लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले मार्च में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। बताते चलें कि रिपोर्ट को कैबिनेट के सामने रखना कानून मंत्रालय के 100 दिन के एजेंडे का हिस्सा था
सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी है कि केंद्रीय कैबिनेट ने ‘एक देश, एक चुनाव’ पर बनाई उच्च स्तरीय कमेटी की सिफ़ारिशों को मंज़ूर कर लिया है।
आगे उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरे कार्यकाल के सौ दिन पूरे होने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में कई अहम फ़ैसले लिए।
आगे उन्होंने बताया कि 1951 से 1967 तक चुनाव एक साथ होते थे। उसके बाद में 1999 में लॉ कमिशन ने अपनी रिपोर्ट में देश में विकास कार्य चलते रहने के हवाले से यह सिफ़ारिश की थी कि देश में चुनाव एक साथ होने चाहिए।
आज का भारत के युवाओं की इच्छा का ज़िक्र करते हुए चुनावी प्रक्रिया से विकास में कोई बाधा न आए तथा इसमें चुनाव के कारण होने वाले भारी खर्चों की भी बात कही गई थी। इसके अलावा लॉ एंड ऑर्डर बाधित होने का हवाला दिया गया था।
अश्विनी वैष्णव ने आगे कहा कि समय-समय पर देश में एक साथ चुनाव कराने के सुझाव दिए जाते रहे हैं। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी गठित की गई थी।
उनके मुताबिक़, इस समिति ने सभी राजनीतिक पार्टियों, जजों, अलग-अलग क्षेत्रों से आने वाले बड़ी संख्या में विशेषज्ञों से विचार-विमर्श के बाद यह रिपोर्ट तैयार की गई है।