फ्रांस में बीते दिन यानी रविवार को संसदीय चुनाव के दूसरे चरण के लिए मतदान हुआ। किसी भी एक गठबंधन को बहुमत न मिलने से फ्रांस को राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल में डाल दिया है। ऐसे में यहाँ त्रिशंकु सरकार के आसार बन गए हैं।
इस चुनाव में वामपंथी गठबंधन न्यू पॉपुलर फ्रंट (एनएफपी) सबसे अधिक सीटें हासिल कर चुका है। नतीजों में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की पार्टी रेनेसां को भी बड़ा नुकसान हुआ है। फ़्रांस चुनावी नतीजों में मरीन ले पेन की दक्षिणपंथी पार्टी दूसरे जबकि राष्ट्रपति मैक्रों की पार्टी रेनेसां तीसरे स्थान पर रही। फ़्रांस के वर्तमान प्रधानमंत्री गैब्रिएल एत्तल ने अपने पद से इस्तीफा देने का एलान कर दिया है।
फ्रांस की संसद में दक्षिणपंथी पार्टी के बहुमत हासिल करने की उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इन नतीजों के बाद फ्रांस की राजनीति में त्रिशंकु सरकार के आसार साफ नज़र आ रहे हैं। साथ ही एक बढ़ा प्रश्न यह भी है कि सत्ता कौन संभालेगा?
फ़्रांस के मतदाताओं ने 30 जून और 7 जुलाई को दो चरणों में संसदीय चुनाव के लिए मतदान किया था। वामपंथी गठबंधन न्यू पॉपुलर फ्रंट ने यहाँ दूसरे दौर के मतदान के बाद संसद में सबसे ज़्यादा सीटें हासिल की हैं। खास बात ये है कि संसदीय चुनाव लड़ने के लिए इस मोर्चे को एक महीना पहले ही 10 जून को ही लॉन्च किया गया था।
गौरतलब है कि दो सांसदों पर आधारित फ्रांस की संसद सदन में निचला सदन ‘नेशनल असेंबली’ ज्यादा शक्तिशाली है। नेशनल असेंबली में कुल 577 सीटें हैं जिनमें से बहुमत के लिए आवश्यक सीटें 289 हैं। फ्रांसीसी संसद का उच्च सदन सीनेट कहलाता है जहां कानून बनाने की प्रक्रिया में इसका अंतिम फैसला लिया जाता है। फ़्रांस की असेंबली को नेशियोलेन कहा जाता है।