संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन की स्थायी सदस्यता के प्रस्ताव को बहुमत से मंजूरी मिल गयी।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने फ़िलिस्तीन की स्थायी सदस्यता के प्रस्ताव के लिए मतदान किया जिसमें 143 देशों ने पक्ष में वोट दिया जबकि विपक्ष में नौ वोट पड़े और 25 देश अनुपस्थित रहे।
भारत फिलिस्तीन संबंध की बात करें तो भारत 1974 में फिलिस्तीन मुक्ति संगठन को फिलिस्तीनी लोगों के एकमात्र और वैध प्रतिनिधि के रूप में मान्यता देने वाला पहला गैर-अरब राज्य था।
संकल्प में कहा गया कि फिलिस्तीन राज्य संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुच्छेद 4 के अनुसार संयुक्त राष्ट्र में सदस्यता के लिए योग्य है और इसलिए उसे संयुक्त राष्ट्र में सदस्यता के लिए भर्ती किया जाना चाहिए।
बताते चलें कि भारत 1988 में फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था और 1996 में दिल्ली ने फिलिस्तीन प्राधिकरण के गाजा में प्रतिनिधि कार्यालय खोला, जिसे बाद में 2003 में रामल्ला में स्थानांतरित कर दिया गया।
UN General Assembly determines that the State of Palestine is qualified and should be admitted as a member to the United Nations.
UNGA further recommends that the Security Council reconsider the matter.https://t.co/xWc4QO8ruV pic.twitter.com/6dEl4ps8pp
— United Nations (@UN) May 10, 2024
मतदान से पहले फ़िलिस्तीन के राजदूत ने कहा था कि प्रस्ताव पर ‘हाँ’ का वोट फ़िलिस्तीनियों के अस्तित्व के पक्ष में वोट है, यह वोट किसी राज्य के ख़िलाफ़ नहीं है, बल्कि फ़िलिस्तीनियों को उनके राज्य से वंचित करने के प्रयासों के ख़िलाफ़ है।
उन्होंने कहा कि आज आपका वोट फिलिस्तीनियों के साथ आपकी एकजुटता के बारे में बहुत कुछ कहेगा और यह दिखाएगा कि आप कौन हैं और आप किसके लिए खड़े हैं, हम शांति से रहना चाहते हैं।
फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा कि गाजा में 35,000 से अधिक फिलिस्तीनी शहीद हुए हैं, जबकि 80,000 घायल हुए हैं और 20 लाख से अधिक विस्थापित हुए हैं।