स्टैनफोर्ड में होने वाले एक अध्ययन में पाया गया कि लिंग या लैंगिक पहचान बदलने से एलजीबीटी लोगों के लिए गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, 4400 से अधिक एलजीबीटीक्यू अमरीकियों के विश्लेषण में पाया गया कि जिन व्यक्तियों ने लिंग पुनर्मूल्यांकन थेरेपी ली, उनमें अवसाद, पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) और आत्महत्या का अनुभव होने की अधिक संभावना थी।
स्टैनफोर्ड मेडिसिन के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन के रूपांतरण चिकित्सा- अवसाद, पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर और आत्महत्या के लक्षणों को बढ़ाने से जुड़ा है।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के चिकित्सक और अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ गुयेन ट्रान ने कहा- “हमारे निष्कर्ष इस बात के और सबूत जोड़ते हैं कि रूपांतरण उपचार अनैतिक हैं और खराब मानसिक स्वास्थ्य का कारण बनते हैं।”
गौरतलब है कि लिंग पुनर्मूल्यांकन थेरेपी किसी व्यक्ति की कामुकता को बदलने का कोई व्यवस्थित प्रयास है जो अक्सर मनोवैज्ञानिक, व्यवहारिक, शारीरिक और वैचारिक होता है।
ट्रान इस शोध के मुख्य लेखक हैं, जिसे 30 सितंबर को द लैंसेट साइकियाट्री में प्रकाशित किया गया था। मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर मिशेल लून, एमडी, इस अध्ययन के वरिष्ठ लेखक हैं। लून प्राइड स्टडी का सह-निर्देशन करते हैं, जो एक ऑनलाइन, राष्ट्रव्यापी शोध परियोजना है जिसे उन्होंने 2015 में प्रसूति और स्त्री रोग के एसोसिएट प्रोफेसर जूनो ओबेडिन-मालिवर, एमडी के साथ मिलकर शुरू किया था, ताकि LBGTQIA+ लोगों के स्वास्थ्य अनुभवों और परिणामों के बारे में डेटा एकत्र किया जा सके।
यद्यपि चिकित्सा क्षेत्र के प्रमुख मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ और संगठन इन उपचारों का विरोध करते हैं, फिर भी इन्हें पूरे संयुक्त राज्य अमरीका में प्रचारित किया जाता है।