एशिया में प्रवासियों के लिए साल 2024 सबसे अधिक घातक रहा है। इस बात का खुलासा संयुक्त राष्ट्र के अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट से हुआ है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक़, पिछले वर्ष यहाँ के ख़तरनाक प्रवासन मार्गों पर क़रीब ढाई हज़ार लोगों की जान चली गई। मौतों की यह वृद्धि प्रवासियों के लिए बढ़ते ख़तरे की ओर संकेत करती है।
रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि साल 2023 में यह संख्या 1,584 थी जिसकी तुलना में वर्ष 2024 में इसमें 59 प्रतिशत वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि प्रवासियों की पहचान नहीं हो पाना भी चिन्ता का विषय रहा है। गौरतलब है कि साल 2024 में एक हज़ार से अधिक मृत लोगों की पहचान नहीं हो पाई है।
संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन के एशिया और प्रशान्त क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक इओरी काटो का कहना है कि एशिया भर में, युद्ध, अस्थिरता, टकराव और उत्पीड़न से बचकर भागने वाले लोगों की मृत्यु संख्या में वृद्धि गम्भीर चिन्ता का विषय है।
इंटरनेशनल ओर्गनइजेशन फॉर माइग्रेशन (IOM) के एशिया और प्रशान्त क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक इओरी काटो का कहना है- “सुरक्षा या बेहतर भविष्य की तलाश में किसी को भी अपनी जान गँवाने के लिए मजबूर नहीं होना चाहिए। एशिया या कहीं और प्रवास मार्गों पर हुई हर एक मृत्यु, सुरक्षित और नियमित प्रवासन मार्गों की तत्काल ज़रूरत की ओर इशारा करती है। …ये ऐसी त्रासदियाँ हैं जिन्हें रोका जा सकता है।”
इस संबंध में इओरो काटो का कहना है कि लापता प्रवासियों के बारे में आधिकारिक जानकारी का कम होना, यह बताता है कि हमारे पास एशिया में प्रवास के दौरान हुई मौतों की संख्या की सही जानकारी उपलब्ध नहीं है।
उनका यह भी कहना है कि उपलब्ध रिकॉर्ड में भी पहचान से संबंधित बहुत कम जानकारी है। वह कहते हैं कि इसकी वजह से अपने लापता लोगों को तलाश कर रहे परिवारों पर गहरा असर पड़ता है।
आईओएम का कहना है कि प्रवासियों को संघर्ष-सम्बन्धी हिंसा के अलावा, प्रवासन रास्ते में ख़तरनाक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें असुरक्षित नावें, तस्करों द्वारा किया जाने वाला दुर्व्यवहार और ख़राब मौसम जैसी स्थितियाँ शामिल हैं।
रिपोर्ट यह भी बताती है कि एशिया में प्रवासन जटिल है, जिसमें आर्थिक असमानता, संघर्ष और पर्यावरणीय कारक मुख्य हैं। इस स्थिति को जलवायु परिवर्तन ने और भी बदतर बना दिया है। इसके अलावा, सीमित क़ानूनी मार्गों ने लोगों को अनियमित और बेहद ख़तरनाक मार्गों को अपनाने के लिए मजबूर किया है।
इन सबके अलावा दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में भूमि मार्ग से होने वाले प्रवासन मार्ग भी गम्भीर जोखिम उत्पन्न करते हैं। इनमें नेपाल से भारत, या अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान से ईरान व तुर्किये के मार्ग शामिल हैं।
प्रवासन के लिए चुने जाने वाले इन मार्गों की बात करें तो सबसे घातक रास्तों में बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर हैं। यहाँ रोहिंगियाऔर बांग्लादेशी प्रवासी, शरण की तलाश में ख़तरनाक समुद्री यात्राएँ करते हैं। इनमे बहुत से ऐसे लोग भी होते हैं जो तस्करों को धन देकर यात्रा करते हैं, जिसमें उन्हें अपनी जगह पर, वापस भेज दिए जाने का जोखिम भी होता है।