नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक सुरक्षा अधिकारों की मांग करने वाले परिवहन कर्मियों के एक संगठन की याचिका पर असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए कानून के तहत उपलब्ध उबर और जोमैटो सहित अन्य ऐप आधारित सेवा देने वाली कंपनियों से जवाब मांगा।
आईएफएटी यानी इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स की याचिका में ऐसे कामगारों के लिए प्राथमिकता के आधार पर स्वास्थ्य बीमा, मातृत्व लाभ, पेंशन, वृद्धावस्था सहायता, विकलांगता भत्ता और एग्रीगेटर्स लागत पर टीकाकरण कराने जैसी कल्याणकारी योजनाएं तैयार करने की मांग की गई है।
Uber, Ola, Swiggy, Zomato जैसे ऐप में काम करने वाले कर्मचारियों को कामगार मानते हुए सामाजिक सुरक्षा लाभ दिए जाने की मांग Supreme Court में की गई है।#Uber#Swiggy#Zomato#SupremeCourt https://t.co/6XZVxltW3m
— APN न्यूज़ हिंदी (@apnlivehindi) December 13, 2021
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने आईएफएटी की ओर से पेश हुई वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह की दलीलें सुनने के बाद कहा- ‘‘हम नोटिस जारी करेंगे। मामले की सुनववाई चार सप्ताह बाद के लिए होगी।’’
सामाजिक कल्याण योजनाओं के तहत डिलीवरी श्रमिकों को भी असंगठित श्रमिक अधिनियम की योजनाओं और श्रमिक निकाय के लिए बनाई गई सभी कामगार घोषित करने का अनुरोध किया गया है।
याचिका में उबर इंडिया और ज़ोमैटो लिमिटेड के अलावा केंद्रीय मंत्रालयों – वाणिज्य और उद्योग, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय को भी पक्षकार बनाया गया है। इस संबंध में उन्होंने ब्रिटेन की शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला दिया और कहा कि नौकरी के अनुबंधों का विश्लेषण किया गया और पाया गया कि उबर के साथ कार्यरत व्यक्ति वास्तव में कामगार थे।
याचिका में यह घोषित करने की मांग की गई है कि ‘गिग वर्कर’ और ‘ऐप आधारित वर्कर’ असंगठित श्रमिक अधिनियम की ‘असंगठित श्रमिकों’ की परि के तहत आते हैं और इसलिए वैधानिक कल्याण लाभों के हकदार हैं।