शिक्षिका से चुनाव संबंधित काम लिए जाने के एक मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शिक्षिका के पक्ष में फैसला सुनाते हुए उसके नियमित वेतन भुगतान का आदेश दिया है।इलाहाबाद की अदालत ने सहारनपुर की शिक्षिका संयमी शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए उनसे चुनाव संबंधित कार्य कराए जाने के आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही अदालत ने शिक्षिका का वेतन रोके जाने के आदेश पर भी रोक लगा दी है।
बताते चलें कि रामपुर के एसडीएम/ चुनाव पंजीकरण अधिकारी द्वारा शिक्षिका को चुनाव संबंधी विविध कार्यों में लगाया था। यह सभी आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने सहारनपुर की संयमी शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि शिक्षकों का कार्य सिर्फ छात्रों को पढ़ाना है। उनसे शिक्षण कार्य के बाद भी दूसरा कोई कार्य लेना गलत है। शिक्षण कार्य के बाद शिक्षक से अगले दिन की कक्षा में पढ़ाने की तैयारी करने और खुद की जानकारी को बढ़ाने की अपेक्षा की जाती है, ताकि वह बेहतर शिक्षा दे सकें।
एसडीम/ चुनाव पंजीकरण अधिकारी रामपुर मनिहारान द्वारा याची को चुनाव संबंधी विविध कार्यों में लगाया गया था। इस वजह से याची के शैक्षणिक कार्य प्रभावित हो रहे थे और वह छात्रों को पढ़ा नहीं पा रही थी। ऐसे में एसडीएम ने 29 अक्टूबर 2024 के आदेश से याची का वेतन रोक दिया।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ ने मामले में सुनीता शर्मा एडवोकेट की जनहित याचिका पर पारित फैसले का हवाला देते हुए इस निर्णय में कहा है कि शिक्षकों से शिक्षणेत्तर कार्य नहीं लिए जा सकते हैं।
अपने विस्तृत निर्णय में खंडपीठ ने का कहना है कि बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा उनका मौलिक अधिकार है तथा अनिवार्य शिक्षा अधिनियम की धारा 27 में स्पष्ट रूप से वर्णित है कि शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य नहीं लिया जा सकता है।
खंडपीठ ने आगे कहा कि शिक्षकों से केवल दस वर्ष में होने वाली जनगणना, आपदा राहत तथा सामान्य निर्वाचन संबंधी सेवा ली जा सकती है। आगे पीठ ने ज़ोर देकर कहा कि इसके अलावा उनसे कोई अन्य कार्य लेना अवैधानिक है।